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देसी घी, फल और जूस का कमाल, आजकल के युवाओं को मात दे रही तैराक दादी..

"तैराकी, डांस और दौड़" में माहिर हैं ओमवती, हरकी पैड़ी पर पुल से गंगा में छलांग लगाकर रातों-रात सोशल मीडिया पर बनी सेलिब्रिटी,, (सुनिये दादी की कहानी, उनकी ही ज़ुबानी)..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: इन दिनों सोशल मीडिया पर हरियाणा की एक दादी के पुल से गंगा में कूदते वीडियो ने तहलका मचाया हुआ है और छलांग लगाने वाली दादी “रातों-रात सोशल मीडिया की स्टार बन गई है। लगभग 75 साल की उम्र में भी दादी की इस फिटनेस और जिंदादिली का राज क्या है, “पंच👊नामा… ने अपने पाठकों की इन जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए दादी के बारे में कुछ अहम जानकारी जुटाई हैं।

हम आपको बता दें कि दादी हरियाणा के सोनीपत शहर से सटे गांव बंदेपुर की निवासी ओमवती हैं। उनके पति राजेंद्र सिंह देशवाल सेना में सूबेदार पद से रिटायर्ड हैं। ओमवती तीन-चार दिन पहले हरिद्वार गंगा दर्शन के लिए आई थी वहां उन्होंने हर की पैड़ी पर पुल से युवकों को गंगा में छलांग लगाते देखा पहले से ही तैराकी में माहिर ओमवती खुद को न रोक सकी और 40 फीट की ऊंचाई वाले पुल से गंगा में छलांग लगा दी। यह नजारा देख गंगा घाटों पर मौजूद श्रद्धालुओं की सांसें थम गई उन्हें लगा कि दादी ने गंगा में कूदकर खुदकुशी कर ली है और अब उनका बचना नामुमकिन है। लेकिन, अगले ही पल सब लोग यह देखकर हैरान रह गए कि उफनती गंगा में कुशल तैराक की तरह दादी खुद को संभालते हुए बड़ी सफाई के साथ किनारे पर आकर निकल गई। दादी के इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर धमाल मचा कर रख दिया है। हमने दादी के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास किया तो पता चला कि उन्होंने अपने बचपन में गांव के जोहड़ में तैरना सीखा था। शादी के बाद ही उन्होंने तैराकी नहीं छोड़ी। कुछ साल पहले एक हादसे में उनके घुटने खराब हो गए। ऑपरेशन कर घुटने बदलने पर वह एक साल तक बिस्तर पर रही।।लेकिन इसके बाद उन्होंने अच्छे खान-पान और कसरत से खुद को फिर से फिट कर लिया। वह डांस, तैराकी, छलांग लगाने और दौड़ने में माहिर हैं। ज्यादातर नौजवान भी तैराकी में उनका मुकाबला नहीं कर पाते हैं। खुराक के बारे में पूछने पर दादी बताते हैं कि “देसी घी, दूध, दही, फल, जूस और छाछ उनके खानपान में शामिल है। वह सुबह 4:00 बजे तक बिस्तर छोड़ देती हैं। हरिद्वार में गंगा में छलांग लगाने के बारे में पूछने पर “हाजिर जवाब दादी का कहना था कि सब लोग छलांग लगा रहे थे, इसलिए मैंने भी छलांग लगा दी। दादी का साफ कहना था कि उन्हें नदी में छलांग लगाने में कोई डर नहीं लगता है।

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