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साम-दाम के बावजूद भड़ाना के लिए विलेन साबित हुए जिले के कई दिग्गज भाजपा नेता, जिस गांव में गए, वहीं घटाए वोट..

कौन लेगा हार की जिम्मेदारी, नतीजे आते ही बंद हुए चार लग्जरी होटलों के दरवाजे, वापस लौटने लगी हरियाणा नंबर की इनोवा कारें..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार/रुड़की: साम-दाम-दंड-भेद की नीति और अस्त्र-शस्त्रों का भरपूर साथ होने के बावजूद मंगलौर सीट पर भाजपा प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना जीत से एक कदम पीछे क्यों रह गए। भाजपा में इस पर विचार मंथन शुरू हो गया है।

फाइल फोटो

लेकिन चुनाव प्रचार से लेकर मतदान तक की पूरी प्रक्रिया पर नजर डालें तो जिले के कुछ दिग्गज भाजपा नेता ही भड़ाना के लिए विलेन साबित हुए। दरअसल, भड़ाना को चुनाव जिताने का पूरा जिम्मा भाजपा के पूर्व जनप्रतिनिधियों ने अपने कंधों पर उठाया हुआ था।

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पूर्व जनप्रतिनिधियों का यह ग्रुप वर्तमान जनप्रतिनिधियों से 10 कदम आगे बढ़कर जमीन आसमान एक करने के दावे और वादे कर रहा था। इनके बड़बोलेपन और खराब चुनावी मैनेजमेंट ने भड़ाना का पूरा चुनाव डूबा कर रख दिया। देसी भाषा में कहे तो “मुर्गा अपनी जान से गया और खाने वालों को मजा भी नहीं आया।

फाइल फोटो: करतार सिंह भड़ाना

यह सब कुछ चूक के कारण हुआ या फिर बाहरी प्रत्याशी होने के नाते भड़ाना को सबक सिखाने के लिए गुप्त साजिश के तहत हुआ। इसको लेकर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं।

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कुछ लोगों का मानना है कि हद से ज्यादा आक्रामकता और सिस्टम को अपने हाथ में लेने की हड़बड़ाहट ने मंगलौर सीट पर जीत का खाता खोलने का भाजपा का सपना चकनाचूर कर दिया।

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जबकि कुछ लोग यह मान रहे हैं कि पूर्व जनप्रतिनिधियों के ग्रुप में शामिल कुछ खांटी भाजपा नेताओं ने जानबूझकर ऐसी तिकड़म भिड़ाई कि सामने से तो वे भड़ाना के सबसे ज्यादा हितेषी नजर आए, लेकिन उन्हें बड़े प्यार से ठिकाने लगाने का काम किया गया।

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वे जिस गांव में भी गए, वहीं वोट घटाकर वापस लौटे। चुनाव नतीजे आने के बाद भाजपा के भीतर एक पूर्व मंत्री और पंचायत की राजनीति के बाद विधानसभा चुनाव में करारी पटखनी खाने वाले एक लोकल नेता को इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

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आए दिन उलूल-जुलूल बयानों के कारण चर्चा में रहने वाले दो पूर्व विधायक भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं। सवाल यह है कि हार की जिम्मेदारी कौन लेगा और शिकस्त का ठींकरा किसके सिर फोड़ा जाएगा।

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यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि जीत का सहारा बंधवाने के लिए पूर्व मंत्री से लेकर पूर्व विधायकों का पूरा ग्रुप आस्तीन चढ़ाए घूम रहा था। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि सबसे कड़े अनुशासन वाली पार्टी भाजपा में आगे बढ़कर हार की माला कौन अपने गले में पहनेगा।
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बंद हुए लग्जरी होटलों के दरवाजे…….

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चुनाव नतीजे जारी होते ही रुड़की मंगलौर हाईवे पर स्थित चार बड़े लग्जरी होटल के दरवाजे भड़ाना समर्थकों के लिए बंद हो गए। लगभग 1 महीने से यह चार होटल भाजपा कार्यकर्ताओं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश व हरियाणा से आए भड़ाना समर्थकों से गुलजार थे।

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इन होटल के बाहर रोजाना सुबह सैकड़ों की तादाद में हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश नंबर की इनोवा व स्कॉर्पियो गाड़ियां खड़ी नजर आती थी। जबकि रात तक यह गाड़ियां विधानसभा के अलग-अलग गांव में फर्राटा भरते हुए दिखाई देती थी। नतीजे के बाद यह गाड़ियां भी देर रात तक वापस लौट शुरू हो गई।

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