पंच👊नामा
पिरान कलियर: पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब के दामाद अमीरुल मुअमिनीन हज़रते मौला अली शेरे खुदा के यौमे शहादत को दरगाह साबिर पाक पिरान कलियर में बड़े एहतराम व अकीदत के साथ मनाया गया। इस दौरान रोजेदारों को रोज़ा इफ्तार कराया गया और मुल्क में अमनो सलामी की दुआं मांगी गई।
पिरान कलियर स्थित दरगाह साबिर पाक दक्षिणी गेट बाबा जिलानी के हुजरे के पास खादिम इस्तेकार अमन साबरी, खादिम अज़ीम साबरी, खादिम, साजिद साबरी, जानू साबरी, राजा साबरी, ख़ादिम बाबू साबरी, मुशाहिद साबरी, गुड्डू साबरी, फैसल साबरी आदि अकीदतमंदों ने हजरत मौला अली के यौमे शहादत को बड़ी अक़ीदत के साथ मनाया। इस दौरान फातिहा ख्वानी और खुसूसी दुआ कराई गई। रोज़ा इफ्तार का एहतेमाम किया गया। इस दौरान हज़रत मौला अली की विशेषताओं और जीवन के मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि हज़रत मौला अली ने इस्लाम व इंसानियत के लिए अपनी शहादत देकर इस्लाम को ज़िंदा रखा और अपनी पूरी ज़िंदगी वक्फ कर दी। हज़रत मुहम्मद साहब (स०अ०व०) ने उनके इल्म को उजागर करते हुए हदीस में कहा मैं इल्म का शहर हूं और अली उसके दरवाज़ा हैं। हजरत मौला अली हिम्मत-ओ-शुजाअत की एक मजबूत चट्टान हैं। आपने कई जंगों में इस्लाम को फतह दिलाकर इस्लाम का परचम बुलंद किया। इस्लाम में हजरत मौला अली का बुलंद मुकाम है। अकीदतमंद हर साल 21 रमज़ान को मौला अली की यौमे शहादत को बड़ी अकीदत के साथ मनाते आ रहे है।