हरिद्वार

रूह अफज़ा की बोतल पर उठा सवाल, तो चरणजीत पाहवा ने दिया करारा जवाब, ऑपरेशन सिंदूर पर ओवैसी का भी दिया उदाहरण..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: धर्मनगरी के सक्रिय हिंदूवादी नेता व देवभूमि भैरवसेना संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष चरणजीत पाहवा से बाजार में उनके एक परिचित ने सवाल कर लिया कि एक कट्टर हिंदू होते हुए वह मुस्लिम ब्रांड का शरबत क्यों खरीद रहे हैं। जवाब में पाहवा ने जो कहा, वह अब चर्चा का विषय बन गया है।
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‘रूह अफज़ा से धर्म नहीं बदलता’…..पाहवा ने कहा, “क्या एक बोतल रूह अफज़ा खरीद लेने से मेरा धर्म बदल जाएगा? मैंने अपना पूरा जीवन हिंदुत्व की सेवा में लगा दिया है। मैं वह व्यक्ति हूं जिसने धर्म के नाम पर कभी संपत्ति नहीं जोड़ी, बल्कि जीवन के 26 वर्ष इस पथ पर समर्पित किए हैं। ”उन्होंने दो टूक कहा कि “मुझे हिंदुत्व का पाठ पढ़ाने की जरूरत नहीं। मेरी पत्नी वर्षों से एक मुस्लिम महिला से कपड़े सिलवाती हैं। मेरे मित्रों में मुस्लिम भी हैं। हम ईद और दिवाली पर एक-दूसरे को बधाई देते हैं। यह देश का सौंदर्य है, कट्टरता नहीं।”‘हिंदू संगठन चलाता हूं, इसका मतलब मुस्लिम विरोधी नहीं हूं’……
पाहवा बोले, “मैं हिंदू संगठन जरूर चलाता हूं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि मुसलमान हमारे शत्रु हैं। हम उन लोगों के खिलाफ हैं जो धर्मविरोधी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं – चाहे वह किसी भी धर्म के क्यों न हों। गाय की हत्या, गंगा का अपमान – हम इनके विरुद्ध हैं, न कि किसी मजहब के।ओवैसी भी खड़े थे देश के साथ……
उन्होंने यह भी कहा कि “जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था, तब ओवैसी जैसे नेता भी भारत के साथ खड़े नजर आए। वे पाकिस्तान को हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी में जवाब दे रहे थे। यही भारतीयता है – जब बात देश की हो, तो धर्म से ऊपर उठना जरूरी होता है।
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‘मोदी जी कहते हैं – सबका साथ, सबका विकास…..पाहवा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन को दोहराते हुए कहा, “हम सबका साथ, सबका विकास में विश्वास रखते हैं। गलत को गलत कहना चाहिए, लेकिन हर मुसलमान को शक की नजर से देखना गलत है। 80 प्रतिशत मुसलमान राष्ट्रप्रेमी हैं, 20 प्रतिशत लोग पूरे समाज को बदनाम कर रहे हैं।
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‘हरिद्वार के लिए किसने क्या किया, सामने आएं’…..चरणजीत पाहवा ने कहा कि “मैं हरिद्वार धर्मनगरी की सेवा में सदैव सक्रिय रहा हूं। अगर किसी को लगता है कि उसने मुझसे ज्यादा कार्य किया है, तो वह सामने आए, मैं सार्वजनिक बहस के लिए तैयार हूं। मेरी निष्ठा पर कोई प्रश्न न उठाए।” अंत में उन्होंने कहा, “मैं किससे सामान खरीदूं, किससे मेलजोल रखूं – यह मेरा व्यक्तिगत अधिकार है। कट्टरता के नाम पर समाज को बांटना बंद कीजिए। मैं हिंदू हूं, और हिंदुत्व मेरे आचरण में है, केवल नारों में नहीं।”

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