“खाली जमीन पर रातों-रात आंबेडकर मूर्ति लगाने पर विवाद, दो पक्ष आमने-सामने, पुलिस-प्रशासन ने संभाला मोर्चा..
जमीन को लेकर चला आ रहा विवाद, जिलाधिकारी से वार्ता के बाद मूर्ति हटाने को राजी हुए ग्रामीण..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: लक्सर कोतवाली क्षेत्र के कंकरखाता गांव में खाली पड़ी जमीन पर डॉ. भीमराव आंबेडकर की मूर्ति लगाए जाने को लेकर शनिवार सुबह माहौल तनावपूर्ण हो गया। दो पक्षों के आमने-सामने आने की सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने तुरंत गांव पहुंचकर स्थिति संभाली।
कैसे शुरू हुआ विवाद…..
गांव की एक खाली जमीन पर शुक्रवार देर रात एक पक्ष ने डॉ. आंबेडकर की मूर्ति स्थापित कर दी। सुबह दूसरे पक्ष के लोगों ने इसे देखकर कड़ा ऐतराज जताया। बताया गया कि जिस जमीन पर मूर्ति लगाई गई, वहीं दूसरा पक्ष मकान निर्माण कर रहा था। इसी को लेकर दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक होने लगी और गांव का माहौल तनावपूर्ण हो गया।
पुलिस-प्रशासन मौके पर तैनात…..
हंगामे की सूचना मिलते ही एसडीएम सौरभ असवाल, एसपी देहात शेखर चंद सुयाल, सीओ नताशा सिंह और कोतवाल राजीव रौथान भारी पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने बताया कि विवादित भूमि चकबंदी के तहत आती है और मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
ऐसे में किसी भी तरह का निर्माण या स्थापना नियम विरुद्ध है। मगर ग्रामीण तत्काल मूर्ति हटाने को तैयार नहीं हुए और कई लोग महिलाएं-मरद सहित धरने पर बैठ गए। स्थिति बिगड़ने पर आसपास के थानों से भी अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया।
पैमाइश और दस्तावेज़ों की जांच…..
चकबंदी विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर भूमि की पैमाइश की। मूर्ति लगाने वाले पक्ष ने खाली जमीन को आंबेडकर पार्क के रूप में संरक्षित करने की मांग उठाई। वहीं दूसरा पक्ष न्यायालय द्वारा उनके पक्ष में पारित आदेश का हवाला देता रहा और संबंधित दस्तावेज अधिकारियों को दिखाए।
डीएम दफ्तर से हुई वार्ता, फिर हटाई गई मूर्ति…..
जमीन का विवाद वर्तमान में डीएम कोर्ट में लंबित होने की पुष्टि के बाद एसडीएम और एसपी देहात ने जिलाधिकारी से ग्रामीणों की बात करवाई। जिलाधिकारी ने मामले का जल्द समाधान करने का आश्वासन दिया। इसके बाद ग्रामीण मान गए और स्वयं मूर्ति को हटा दिया।
एसडीएम सौरभ असवाल ने बताया कि जमीन विवाद न्यायालय में लंबित है, इसलिए मौके पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। ग्रामीणों ने वार्ता के बाद शांति से मूर्ति हटाई, जिसके बाद गांव का माहौल सामान्य हो गया।



