अपराधहरिद्वार

जिले में साप्ताहिक स्वागत कार्यक्रम बनकर रह गया “ड्रग्स फ्री देवभूमि अभियान..

पुलिसकर्मियों का फोकस कार्रवाई पर कम, टैंट-माला और भाषण पर ज्यादा, अब तो "नशेड़ी और तस्कर भी हो गए आदि, सिटी क्षेत्र में हालत बदतर..

इस खबर को सुनिए

पंच👊🏻नामा-ब्यूरो
सुल्तान, हरिद्वार: ड्रग्स फ्री देवभूमि अभियान के शुरूआती चरण में नशे के धंधेबाजों के छक्के छुड़ाने वाली पुलिस का फोकस अब नशे के खिलाफ कार्रवाई पर कम, जागरुकता पर ज्यादा नजर आ रहा है।

फाइल फोटो

नशे की खेप कहां निकलकर, किस रास्ते से कहां पहुंच रही है, कौन-कौन बेच रहा है, इस पर काम करने के बजाय, इस सप्ताह किस गांव या मोहल्ले में टैंट लगाना है, किस-किसको बुलाना है, भाषण कौन देगा, माला कौन पहनाएगा, इस पर बचा है।

फाइल फोटो

हाल ये है कि कई थाना-कोतवाली की पुलिस ने महीनों से चंद ग्राम स्मैक तक नहीं पकड़ी, जबकि हर सप्ताह  शानदार कार्यक्रम आयोजित कर फोटो ज़रूर खिंचाएँ गए हैं। जिससे साफ है कि अभियान अधिकांश जगहों पर केवल साप्ताहिक स्वागत कार्यक्रम बनकर रह गया है। जबकि हकीकत यह है कि शहर से देहात तक ज्वालापुर से भगवानपुर तक स्मैक, गांजा, चरस, शराब का धंधा बदस्तूर जारी है। इतना ही नहीं, पुलिस के गोद लिए गए अधिकांश गांव और मौहल्लों में भी ऐसा कोई नशे नहीं है, जो उपलब्ध न हो।
———————————-

फाइल फोटो

तो क्या सिर्फ भाषण से ड्रग्स फ्री होगी देवभूमि…?
कुछ बड़े धंधेबाजों की संपत्ति जब्त करने के बाद अब गुंडा एक्ट, गैंगेस्टर तक पर ब्रेक लग चुका है। हालांकि, अधिकारी अभी भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मिशन का साकार करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या गांव-मौहल्ले में चौपाल लगाकर ही धर्मनगरी या देवभूमि ड्रग्स फ्री बनेगी। जिले में एक महीने के भीतर नशे के खिलाफ कार्रवाई पर नजर डालें तो हर सप्ताह गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, कार्यक्रम के दौरान फोटो और वीडियो की क्वालिटी पर पूरा फोकस किया गया है। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लाइक और कमेंट भी मिले हैं, पर कार्रवाई के नाम पर अधिकांश थाना-कोतवाली पीछे की तरफ जा रहे हैं।
———————————

फाइल फोटो

सिटी पहले से चल रहा फिसड्डी…
सिटी क्षेत्र पहले ही अभियान में फिसड्डी है, अब देहात में भी कार्रवाई का ग्राफ नीचे जा रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि शहर की घनी आबादी वाले मोहल्लों में केवल पुलिस के नारे पहुंच रहे हैं, यहां अभी तक कार्रवाई की आंच भी नहीं पहुंची है। नशेड़ी और नशे के धंधेबाज भी अब साप्ताहिक कार्यक्रम के आदि हो गए हैं। उन्हें मालूम है कि शनिवार को थोड़ा चुस्त रहना है, मौका लग जाए तो भीड़ में घुसकर माला पहनानी और तालियां भी बजा देनी है। बाकी छह दिन मौज ही मौज।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Translate »
error: Content is protected !!