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पंच👊नामा-ब्यूरो
उत्तराखंड डेस्क: उत्तराखंड के चर्चित डीजीपी रहे बीएस सिद्धू के खिलाफ जमीन के फर्जीवाड़े के मामले में 10 साल बाद एफआईआर हुई है।
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आरोप है कि उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया और आरक्षित वन भूमि पर कब्जा किया। इसके लिए 25 हरे पेड़ भी काटे गए। इतना ही नहीं दबाव बनाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कुछ लोगों पर फर्जी मुकदमा भी दर्ज कराया गया।
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वन विभाग के एक अधिकारी की शिकायत पर पुलिस ने रिटायर्ड डीजीपी बीएस सिद्धू और तत्कालीन अपर तहसीलदार शुजाउद्दीन समेत आठ आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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मसूरी वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी आशुतोष सिंह ने पुलिस को तहरीर देकर बताया कि पुरानी मसूरी रोड स्थित जमीन को भारतीय वन अधिनियम के तहत आरक्षित वन घोषित किया गया था। आरोप है कि रिटायर्ड डीजीपी बीएस सिद्धू ने अपर महानिदेशक के पद पर रहते हुए मेरठ के दो अधिवक्ता दीपक शर्मा व स्मिता दीक्षित के कहने पर फर्जी दस्तावेज बनाए। उन्होंने नकली नाथूराम और कुछ गवाहों को खड़ा कर 21 मई 2012 को जमीन अपने नाम रजिस्टर करवा दी। जबकि असली नत्थूराम की मृत्यु वन 1983 में हो चुकी थी। बीएस सिद्धू ने तत्कालीन अपर तहसीलदार सदर शुहाउद्दीन के साथ मिलकर जमीन पर कब्जा किया। जमीन पर खड़े 25 पेड़ भी काट दिए और बीएस सिद्धू ने वन अधिकारियों व कुछ कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए पद का दुरुपयोग करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया। इस मामले की जांच के बाद पुलिस ने रिटायर्ड डीजीपी बीएस सिद्धू, तत्कालीन अपर तहसीलदार शुजाउद्दीन, महेंद्र सिंह, नकली नाथुराम, दीपक शर्मा, स्मिता दीक्षित, सुभाष शर्मा और कृष्ण के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।