हरिद्वार

रमजान के पाक महीने में भी मुस्लिम मोहल्लों में गंदगी के अंबार, लावारिस जैसे हालात..

ज्वालापुर से जीतने वाली मेयर नदारद, अफसरों की आंख-नाक-कान बंद,, मक्खन पोलिश करने वाले मुस्लिम नेताओं की जुबान पर भी लगे ताले..

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पंच👊नामा ब्यूरो
हरिद्वार: रमजान के पाक महीने में भी हरिद्वार नगर निगम के मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में सफाई व्यवस्था बदहाल है। ज्वालापुर के अधिकांश मुस्लिम मोहल्लों में जगह-जगह नालियों का पानी सड़कों पर बह रहा है। कहीं कूड़े के ढेर लगे हैं तो कहीं नालियों से निकला कीचड़ फैला हुआ है। ज्वालापुर हमेशा सही उपेक्षा का शिकार रहा है लेकिन रमजान के महीने में इतना भेदभाव पूर्ण रवैया पहली बार सामने आ रहा है। हैरत की बात तो यह है कि ज्वालापुर से चुनाव जीतने वाली महापौर अनीता शर्मा और उनके पति अशोक शर्मा को भी इन दिनों ज्वालापुर के अपने मतदाताओं की याद नहीं आई। वहीं, अफसरों की आंख, नाक और कान पूरी तरह बंद है। बेहतर साफ सफाई करना तो दूर इन दिनों आमतौर पर होने वाली सफाई भी ठप पड़ी है। इसके अलावा ईद जैसे मौकों पर पुलिस प्रशासन और नगर निगम अधिकारियों की मक्खन पॉलिश लगाकर झूठी तारीफों के पुल बांधने वाले मुस्लिम नेता भी इस बदहाली पर खामोश हैं। ज्वालापुर के अधिकांश मुस्लिम वार्डों में पार्षद भी मुस्लिम ही हैं, लेकिन इनमें चंद पार्षदों को छोड़ दें तो बाकी सब नकारा साबित हो रहे हैं। कुछ समय पहले तक रमजान के जुमा के दिन मस्जिदों के आसपास साफ सफाई करते हुए चूना छिड़काव कराया जाता था। स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत का काम भी रमजान से पहले कर लिया जाता था। लेकिन इस बार या तो किसी दबाव या फिर किसी रणनीति के तहत मुस्लिम बाहुल्य इलाकों को लावारिस छोड़ दिया गया है। खास तौर पर तेलियान, कैथवाडा, कोटरवान, हज्जाबान, कस्साबान, पांवधोई, ईदगाह रोड़ के हालात बद से बदतर हैं। जबकि अगले ही साल नगर निगम के चुनाव होने हैं। ऐसे में सवाल यह है कि इतना भेदभाव और नकारेपन की हद पार करने के बाद क्या मेयर, पार्षद व अन्य नेता वोट मांगने इन मोहल्लों में नहीं जाएंगे। यदि जाएंगे तो यह जनता को तय करना होगा कि क्या जवाब दिया जाए।

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