अपराधहरिद्वार

“चर्चित महामंडलेश्वर के गले की फांस बने झूठे मुकदमे, आश्रम की गद्दी पर भी लटकी तलवार..

सत्ताधारियों से नजदीकी के चलते झूठे मुकदमों से किया उप प्रबंधक का उत्पीड़न, आश्रम खाली कराने को अपनाए हथकंडे, अब खुद करना पड़ेगा मुकदमों का सामना..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार के एक नामचीन आश्रम की आड़ में सत्ताधारियों से नजदीकी का कथित दुरुपयोग कर झूठे मुकदमे दर्ज कराने की कहानी अब सामने आने लगी है, जिसमें एक चर्चित महामंडलेश्वर केंद्र में बताए जा रहे हैं। आरोप है कि आश्रम में कार्यरत उप प्रबंधक को बेदखल करने और संपत्ति पर कब्जे की मंशा से उसके और उसके परिवार पर एक के बाद एक आपराधिक मुकदमे लादे गए। मामला तब और गंभीर हो गया, जब कथित दबाव और साजिश के तहत पीड़ित को गैंगस्टर एक्ट में फंसाकर जेल भेज दिया गया। अब पूरा प्रकरण पुलिस जांच के दायरे में आ गया है।पीड़ित का कहना है कि वह पिछले करीब 40 वर्षों से हरिद्वार में स्थायी रूप से निवास कर रहा है और वर्ष 1993 से न्यायालय हरिद्वार में अधिवक्ता लिपिक के रूप में कार्यरत है। उसका पंजीकरण आज भी वैध है। वर्ष 2012 से वह श्रवणनाथ नगर स्थित एक ट्रस्ट के निर्देश पर आश्रम परिसर के दो कमरों में परिवार सहित रहकर कार्यवाहक उप प्रबंधक की जिम्मेदारी निभाता रहा है।आरोप है कि वर्ष 2021 के बाद अचानक उप प्रबंधक पर आश्रम खाली कराने का दबाव बढ़ाया जाने लगा। पीड़ित के अनुसार आश्रम की संपत्ति को व्यावसायिक उपयोग में लेने की मंशा से उसे मानसिक और प्रशासनिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इसी क्रम में उसके और उसके परिवार के खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से आपराधिक मुकदमे दर्ज कराए गए, ताकि उसे आश्रम छोड़ने को मजबूर किया जा सके।पीड़ित का दावा है कि उसका ट्रस्ट की किसी भी संपत्ति, रजिस्ट्रेशन अथवा किसी प्रशासनिक निर्णय से कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं रहा है। वह केवल ट्रस्ट द्वारा सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन करता रहा, इसके बावजूद उसे अपराधी के रूप में चित्रित किया गया।मामला सितंबर 2025 में उस समय और गंभीर हो गया जब देर रात उसे उसके कमरे से जबरन उठाकर गिरफ्तार किया गया। पीड़ित का आरोप है कि उसे खतरनाक अपराधी की तरह ले जाया गया। इसके बाद उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया और उसे गैंग का सरगना बताया गया, जबकि किसी भी आरोपी के खिलाफ अवैध कब्जे अथवा संपत्ति हड़पने का कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आया।पीड़ित ने यह भी आरोप लगाया कि जेल में रहने के दौरान उससे सौदेबाजी की गई। कहा गया कि यदि वह आश्रम में रह रहे दोनों कमरे खाली कर दे, तो उसके खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे वापस करा दिए जाएंगे। इनकार करने पर पोक्सो, बलात्कार, डकैती, नशीले पदार्थ और चोरी जैसे गंभीर मामलों में फंसाने की धमकियां दी गईं, साथ ही हरिद्वार में रहना मुश्किल करने और जमानत न होने देने की बात कही गई।पीड़ित के अनुसार उसने न्याय की मांग को लेकर थानाध्यक्ष से लेकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, जिलाधिकारी, पुलिस महानिदेशक, राज्य मानवाधिकार आयोग देहरादून और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली तक शिकायतें कीं, लेकिन अब तक कहीं से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उसका आरोप है कि विपक्षी की पहुंच शासन और प्रशासन के ऊपरी स्तरों तक है।पीड़ित ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन दो कमरों को लेकर विवाद खड़ा किया गया है, उन्हें लेकर सिविल न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त है। इसके बावजूद उस पर लगातार आश्रम खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है। अब उसने कोतवाली ज्वालापुर में तहरीर देकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। कोतवाली प्रभारी कुंदन सिंह राणा ने शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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