हरिद्वार

हरिद्वार में स्वयंभू किसान संगठनों की बाढ़: सिर पर टोपी, गले में गमछा और बन गए राष्ट्रीय नेता, पुलिस-प्रशासन भी परेशान..

कई संगठनों में घुसे अपराधिक प्रवृत्ति के लोग, किसानों की समस्याओं को छोड़ ब्लैकमेंलिंग को बनाया धंधा, कई नेता रडार पर..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: जनपद में पिछले कुछ दिनों से अचानक ही स्वयंभू किसान संगठनों की बाढ़ आ गई है। हाल यह है कि बाबा महेंद्र सिंह टिकैत की असल भाकियू व चंद गुटों के अलावा रुड़की, मंगलौर, लक्सर आदि देहात क्षेत्र में हर कदम पर भारतीय किसान यूनियन के किसी न किसी गुट का स्वयंभू नेता मिल जाएगा।

फाइल फोटो

नए-नए स्वयंभू और फर्जी किसान संगठनों ने किसान यूनियन का मजाक बनाकर रख दिया है। अपने स्वार्थ के लिए किसी भी एरा-गैरा के सिर पर हरी टोपी और गले में गमछा डालकर उसे 2 मिनट में किसान नेता घोषित कर दिया जाता है।

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एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में फर्जी संगठनों ने ऐसी भर्ती निकाली हुई है कि कोई आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो या फिर उसके दादा-परदादा के नाम भी कभी आधा बीघा जमीन ना रही हो, लेकिन चंद मिनट में वह वरिष्ठ किसान नेता और संगठन का राष्ट्रीय पदाधिकारी बन जाता है।

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हाल के दिनों में ऐसे नए स्वयंभू संगठनों में कई आपराधिक इतिहास वाले लोग भी एंट्री पा गए हैं। जिनका ना तो खेती-किसानी से दूर-दूर तक कोई वास्ता है और ना ही किसानों की समस्याओं से कोई सरोकार है। उनका मकसद सिर्फ पुलिस प्रशासन से जुड़े मामलों में टांग फसाना और ब्लैकमेलिंग कर धन उगाही करना है।

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कई संगठनों के नेता खुद ऐसे लोगों को बढ़ावा देते हुए अवैध रूप से धन ऐंठने में जुटे हैं। इनका सीधा सा काम होता है कि कोई मुद्दा संज्ञान में आया नहीं कि अपनी कमीशन फिक्स कर बिना सच्चाई जाने उसमें कूद पड़ते हैं। ऐसे स्वयंभू और कथित किसान संगठनों व उनके नेताओं की धमाचौकड़ी ने पुलिस प्रशासन की नाक में दम किया हुआ है।
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“हनीट्रैप की ब्लैकमेलिंग में कूदे फर्जी नेता…..

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हाल के दिनों में एक ऐसा ही मामला जिले के एक कोतवाली क्षेत्र में सामने आया है। जिसमें गहरी रंजिश और साजिश के चलते एक लड़की को मोहरा बनाकर जाल फेंका गया। लेकिन दाना चुगने से पहले ही अनाड़ी शिकारियों ने जाल खींच कर ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी।

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अब ब्लैक को व्हाइट साबित करने के लिए फर्जी किसान संगठन आए दिन हो हल्ला करते हुए दबाव बनाने में जुटे हैं। लेकिन असल कहानी पुलिस प्रशासन के संज्ञान में है। अपराधिक इतिहास वाले फर्जी किसान नेताओं पर पैनी नजर है। कड़ी से कड़ी जुड़ने पर खेल से जुड़े स्वयंभू नेताओं का भी कार्रवाई की जद में आना तय है।
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“किसी को टोल बचाना, किसी को चेहरा छिपाना…..

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स्वयंभू संगठन चलाने वालों ने सदस्यता देने के नाम पर बाकायदा दुकान खोली हुई है। रकम लेकर गलत लोगों को संगठन की सदस्यता दी जा रही है। पैसे लेकर सदस्यता करने वालों के अलग-अलग उद्देश्य रहते हैं। कुछ लोग टोल टैक्स बचाने के लिए तथाकथित संगठन से जुड़ते हैं तो कुछ अपना पुराना इतिहास छिपाने और पुलिस की नजर से बचने के लिए संगठन का लबादा ओढ़ते हैं।

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जबकि कुछ लोग विशुद्ध रूप से ब्लैकमेलिंग के धंधे में कूद कर अपनी जेब भरने और संगठन के अकाउंट को लाभ पहुंचाने के लिए सिर पर हरी टोपी और गले में हर गमछा डालते हैं। ऐसे संगठनों की कुंडली जरूरी है।

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ताकि किसी भी मामूली घटना को सांप्रदायिक रूप देने या फिर शांति व्यवस्था का मुद्दा बनने से रोका जा सके और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके। हालांकि अधिकारी ऐसे संगठनों को लेकर सजग हैं और खुफिया विभाग को ऐसे कथित नेताओं की कारगुजारियों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। सूत्र बता रहे हैं कि आने वाले दिनों में ऐसे कई कथित और फर्जी नेताओं के जेल जाने का योग बन रहा है।

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