“फूल भी हमारे, खुश्बू भी हमारी, हिंदी भी हमारी, “उर्दू भी हमारी..
कलियर में उर्स के मुशायरे में "हिंदुस्तान-पाकिस्तान" के शायरों ने मिलकर भरे एकता और मोहब्बत के रंग, थानाध्यक्ष सहित कई सम्मानित..

पंच👊नामा
पिरान कलियर: सूफीइज्म का बड़ा मरकज़ हाजरी अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक के 754 वें सालाना उर्स में ऑल इंडिया सूफी संत परिषद और उत्तराखंड नागरिक सम्मान समिति की तरफ से आलमी नातिया मुशायरे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अजमेर शरीफ दरगाह के गद्दीनशीन व अजमेर अंजुमन खुद्दाम ए ख्वाजा के अध्यक्ष पीर ग़ुलाम किब्रिया चिश्ती ने की, और देश की सलामती, शांति, भाईचारे व देश की रक्षा, उन्नति, विकास और अखंडता के लिए दुआं मांगी।साबिर पाक के 754 वे सालाना उर्स में आयोजित मुशायरे में देश विदेश के शायरों ने राष्ट्रीय एकता व आपसी सद्भाव, साबिर पाक की शान में मनकबत, मुहम्मद साहब की शान में नात शरीफ़ का नज़राना पेश किया। मुशायरे में पाकिस्तान लाहौर की दरगाह के खादिम मुहम्मद शफ़ी साबरी और पाकिस्तानी जत्था लीडर रियाज़ अहमद साबरी को हिन्द पाक एकता व सद्भाव सम्मान पेश किया गया। अजमेर के गद्दीनशीन नज़र हुसैन चिश्ती ने सभी मेहमानों और शायरों की दस्तार बन्दी की। मुशायरे के संयोजक शायर अफ़ज़ल मंगलौरी ने कहा कि साबिर पाक का उर्स केवल मुसलमानों का उर्स नहीं है बल्कि इसमें सभी मजहबो के लोग भारी संख्या में पुहंच कर अपनी अकीदत पेश करते हैं। शायर जिगर देवबन्दी व अलीम वाजिद के संयुक्त संचालन में देर रात तक श्रोताओं ने मुशायरे का लुत्फ लिया।
इस अवसर पर समिति की ओर से मेले में बेहतरीन सेवा और पुलिस व्यवस्था के लिए थानाध्यक्ष मनोहर सिंह भंडारी को सम्मानित किया गया। शायर डा वसीम राजुपुरी व एंकर ख्वाजा तारिक़ उस्मानी को विशिष्ट रूप से साबरी मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया गया। पाकितान लाहौर से आए शायर सूफी इक़रार उस्मानी ने अपने कलाम में फ़रमाया, प्यार का मैं सलाम लाया हूं, एकता का पयाम लाया हूं, सारे भारत के भाइयों के लिए, पाक दिल का सलाम लाया हूं।अलीम वाजिद ने पढ़ा, नबीए पाक का जो भी ग़ुलाम हो जाये, वो शख्स हर जगह आली मक़ाम हो जाए। देहरादून से आए शायर क़य्यूम बिस्मिल ने वाह वाही के बीच पढ़ा, संतों के तो दरबार में होते है सब इंसान, कोई यहाँ हिन्दू या मुस्लमा नही होता। डॉ वसीम राजुपूरी ने “नबी को हिन्द से भी खुशबू ए ईमान आती थी, हम अपनी जान तक दे देंगे हिंदुस्तान की खातिर। उस्ताद शायर मसरूर रौशन साहब ने फरमाया, हम आक़ा के बताए रास्ते से हटते जाते हैं, सबब ये है हमारे हक़ में नफरत बढ़ती जाती है। सम्मानित शायर जनाब जिगर देवबन्दी ने निज़ामत करते हुए फरमाया, फूल भी हमारे खुशबू भी हमारी है, हिंदी भी हमारी है उर्दू भी हमारी है। दिल्ली दूरदर्शन के प्रसिद्ध एंकर युवा शायर ख्वाजा तारिक़ उस्मानी ने पढ़ा उनकी खुशबू का तसव्वुर भी जो हो जाए मुझे, तो मेरी फिक्र के पीछे ये बहारें लग जाएं। शबाहत सहारनपुरी ने पढ़ा, जगमगाते मेरी किस्मत के सितारे होंगे, जब मेरे सामने तैबा के नजारे होंगे। इनके अलावा राशिद रामपुरी, सय्यद सकलैन हैदर, सय्यद नफीसुल हसन, खयाल मुरादाबादी, मुफ़्ती शमीम साबरी, शादाब गुल आदि ने भी अपने अपने कलाम पेश किए। गंगोह शरीफ दरगाह कुतुबे आलम के नायब सज्जादा नशीन शाह मख्दूम मियां कुद्दुसी ने सभी को तबर्रूक पेश किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुचे डॉ संगीता वफ़ा, मंगलौर विधायक प्रतिनिधि अजीजुर्रहमान मोंटी, विधायक हाजी शहज़ाद के प्रतिनिधि सत्तार अज़ीम, जीशान सिद्दीकी, राव आफाक, इक़रार उस्मानी, तारिक़ अनवर, शाह वक़ार चिश्ती, शौकत सलमानी, आकिब जावेद, दरगाह प्रबंधक शफीक अहमद, सुपरवाइजर इंतेख़ाब आलम, सलीम अहमद, राव सिकन्दर, पंडित अनिल शर्मा, अनीस क़सार, अनीस गौड़, रॉव इनाम साबरी, मेहताब साबरी, अकरम साबरी, सलमान फरीदी, ईश्वर लाल शास्त्री, इसरार अल्वी, हारून अली, इमरान देशभक्त, लंगर इंचार्ज राव शारिक अली, जावेद सलमानी, विकास वशिष्ट, मुनव्वर अली साबरी, इलियास साबरी आदि मौजूद रहे।