हरिद्वार

कलियर के ठेकों में हैसियत का फर्जीवाड़ा, रेवड़ी की तरह बना डाले प्रमाण पत्र..

खेल पकड़ में आने पर बैकफुट पर ठेकेदार, तहसील कर्मियों के कारनामे पर अफसरों की चुप्पी, जिले में चर्चाओं का विषय बना मामला, डीएम ने बैठाई जांच

पंच👊नामा
पिरान कलियर: “”अंधेर नगरी चौपट राजा” ये प्रचलित कहावत इन दिनों आस्था की नगरी पिरान कलियर में चरितार्थ होती दिखाई दे रही है। जहां गलती करने वाले और उसमें सहयोग करने वालो पर सजा का अलग-अलग प्रावधान है। जी हां ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि हाल ही में कुछ ऐसा ही मामला इस नगरी में सामने आया है। दरअसल हाल ही में दरगाह के वार्षिक ठेकों को नीलाम किया गया है। जिसमे कुछ ठेकों पर हैसियत में गड़बड़ी पाए जाने पर उन्हें निरस्त कर दिया गया है। ठेका प्रक्रिया में प्रावधान है कि ठेका लेने वाला ठेकेदार संबंधित ठेके के मुताबिक हैसियत पत्र जमा कराता है, इस हैसियत को सम्पत्ति के आधार पर सरकारी तंत्र तय करता है, मूल्य आंकलन के बाद सम्पत्ति पर हैसियत बनाई जाती है, जो सरकारी कर्मी प्रमाणित करते है। अब उन हैसियत में गड़बड़ी पाई गई, कुछ हैसियत तो और चौकाने वाली निकली, जो मौके पर शून्य पाई गई। हैसियत में गड़बड़ी के आधार पर उन ठेकों को निरस्त कर दिया गया। अब सवाल ये उठता है कि ये हैसियत जब बनाई गई तब क्या संपत्तियों का आंकलन नही किया गया, क्या बिना मौका मुआयना के ही हैसियत बनाकर ठेकेदारों को सौप दी गई, क्या सरकारी तंत्र रेवड़ियों की तरह हैसियत बांट रहा था जो अब उनमें गड़बड़ी पाई जा रही है, सवाल ये भी है कि क्या उन कर्मचारियों/अधिकारियों पर कार्रवाई नही होनी चाहिए जिन्होंने बिना जांच के हैसियत बनाकर ठेकेदार को सौप दी। क्या ठेके निरस्त कर एक तरफा कार्रवाई करना इंसाफ है, सवाल कई है लेकिन जवाब के नाम पर कुछ नही।
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हर वर्ष बदलते है हैसियत के स्वामी…
ये मामला पहला नही है इससे पूर्व में भी एक हैसियत कई कई स्वामियों के नाम बनाने का मामला सामने आचुका है। अमूमन ठेकेदार एक ही हैसियत पर हर साल उसका स्वामी बदलकर उसके नाम हैसियत बनवा लेते है, जैसे भाई, बेटे के नाम, और ठेका हासिल कर लेते है। इस बार हैसियतों की जांच होने पर इस गोरखधंधे का सार्वजनिक तौर पर खुलासा हुआ है।
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क्या इसी लिए दरगाह के करोड़ो बकाया….
ठेके की रकम को वसूल करने के लिए हैसियत जमा कराई जाती है, लेकिन उसके बावजूद भी दरगाह के करोड़ो रूपये ठेकेदारों पर बकाया है। इसका एक कारण ये भी है कि जिस हैसियत पर प्रबन्धनतंत्र विश्वास करता है वो कुछ और ही निकलती है, जिसका जीता जागता सुबूत ये है कि दरगाह के करोड़ों रुपये ठेकेदारों पर आज भी बकाया है।
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क्या कहते है अधिकारी…..
हरिद्वार जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे का कहना है कि अगर ऐसा है तो यह वाकई गंभीर मामला है, इस पूरे मामले की रिपोर्ट लेकर जांच कराई जाएगी। जो दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी।

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