पंच👊नामा
रुड़की: देशभर में सूफियाना रवायतों की रूहानी महक फैली हुई है। हर गली, हर दरगाह से अकीदत के नूर की किरनें बिखर रही हैं, क्योंकि यह मौका है हिंदुस्तान के राजा, “हिंद के गरीब नवाज” हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रह. के 813 वें उर्स-ए-पाक का। अकीदतमंदों ने इस मुबारक मौके को “ईद-ए-चिश्तिया” के तौर पर बड़े एहतराम और मोहब्बत के साथ मनाया। ख्वाजा गरीब नवाज, जिनकी जिंदगी मोहब्बत, अमन और इंसानियत का पैगाम है, उनकी याद में मुल्क के कोने-कोने में महफिलें सजाई गईं। लोग जिक्र-ए-ख्वाजा करते हुए उनकी तालीमात को याद कर रहे हैं।
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साबिर पाक में सजाई गई महफ़िल…..पवित्र धरती पिरान कलियर स्थित हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक रह. के दरबार में भी हुज़ूर गरीब नवाज की शान में महफिल सजाई गई। कुल शरीफ की रस्म अदायगी के दौरान दरगाह की फिजाओं में नूरानी कलाम गूंजते रहे।जिनमें ख्वाजा साहब के प्यार और करम की बातें सुनाई दीं। अकीदतमंदों ने अपनी अकीदत और मोहब्बत का इज़हार करते हुए गरीब नवाज से फैज हासिल किया।
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अकीदत से मनाया “ईद-ए-चिश्तिया”…..इसी तरह, पीलीभीत के मोहल्ला भूरे खां में दरगाह हकीम सूफी सय्यद मोहम्मद अनवर अली शाह साहब की खानकाह में भी ख्वाजा-ए-ख्वाजगां के 813 वें उर्स की रौनकें देखने को मिलीं। गद्दीनशीन डॉ. बिलाल हसन चिश्ती की सरपरस्ती में कुल शरीफ और ख़्वाजा गरीब नवाज़ की टोपी की ज़ियारत कराई गई। इस ऐतिहासिक टोपी को, जो बादशाह सुल्तान शम्सुद्दीन अल्तमश ने सन् 1315 में हजरत गरीब नवाज को तोहफे में दी थी, सभी अकीदतमंदों ने बड़े एहतराम से दीदार किया। यह टोपी अपने बेहतरीन ईरानी और तुर्की सोने के काम के लिए मशहूर है और खानकाह के तोशा खाने में आज भी महफूज़ है। इस पाक मौके पर डॉ. बिलाल हसन चिश्ती ने मुल्क में अमन, चैन और भाईचारे की दुआ कराई। उन्होंने कहा कि गरीब नवाज की तालीमात इंसानियत और मोहब्बत का पैगाम देती हैं, जिन पर चलकर हम सब अपने मुल्क को तरक्की और खुशहाली की राह पर ले जा सकते हैं। गरीब नवाज के उर्स का यह पाक मौसिम यकीनन हर दिल में मोहब्बत, ईमान और सुकून की शमा रोशन कर रहा है।