मंगलौर नतीजे से चर्चा में आई हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा की “खिचड़ी” पंचायत, आखिर कौन था सूत्रधार..?
उपचुनाव के बीच अचानक क्यों उठी स्थानीय प्रत्याशी की मांग, बनाया गया बहाना, या कहीं और लगाया निशाना..
पंच👊नामा
जगदीश प्रसाद शर्मा देशप्रेमी, रुड़की: कांटे के मुकाबले के बाद मंगलौर उपचुनाव के नतीजे आने से हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा के एक गांव में हुई “खिचड़ी” पंचायत भी चर्चा का विषय बनी हुई है। जिसमें विधानसभा चुनाव से तीन साल पहले ही स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा उठाया गया।
सवाल उठ रहा है कि मंगलौर उपचुनाव के बीच अचानक ही 2027 विधानसभा चुनाव के बाद कहां से आ गई। जबकि पंचायत में अधिकांश लोग ऐसे थे, जिन्होंने मौजूदा विधायक अनुपमा रावत को जिताने के लिए पूरी ताकत लगाई थी।
चुनाव नतीजे आने के बाद सोशल मीडिया पर इस पंचायत को लेकर लोग तमाम तरह की टिप्पणी कर रहे हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि ऐसी कौन सी इमरजेंसी आन पड़ी थी कि मंगलौर उपचुनाव के बीच आनन-फानन में स्थानीय प्रत्याशी के मुद्दे पर पंचायत लगानी पड़ी। लोग यह भी जानना चाहते हैं कि पर्दे के पीछे इस पंचायत का सूत्रधार आखिर कौन था..??
कुछ लोगों का टिप्पणी कर रहे हैं कि स्थानीय प्रत्याशी का केवल बहाना बनाया गया, जबकि निशाना मंगलौर उपचुनाव था। मीटिंग में बंद कमरे के भीतर क्या निर्णय लिया गया और बाहर क्या बताया गया, इसके पीछे भी कई तरह का विरोधाभास सामने आ रहा है। इतना ही नहीं, कुछ लोग तो बेबाक तरीके से इस पंचायत को प्रायोजित बताते हुए बड़ी पार्टी के एक नेता का हाथ बता रहे हैं।
आरोप तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि खुद को कांग्रेसी कहलाने वाले कई नेताओं ने मंगलौर जाकर बसपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगे। उपचुनाव में हुए भीतरघात का खिचड़ी पंचायत से कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संबंध है, खिचड़ी पकाने वाले लोग अपने मकसद में कितने कामयाब हुए यह भी अलग बात है, इसको लेकर हम किसी भी प्रखंड का दावा नहीं करते हैं।
अलबत्ता, चुनाव से कई साल पहले अचानक ही स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी नागवार गुजर रहा है। हरीश रावत के कई करीब नेताओं ने भी इसकी पुष्टि की है।