
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश के नीमच की रहने वाली हिंदू युवती भावना 22 वर्षीय को कलियर दरगाह में नमाज पढ़ने की अनुमति दे दी है। लेकिन इसको लेकर आमजन के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। अधिकांश लोग इसे प्रोपेगेंडा बताते हुए पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और होने का दावा कर रहे हैं।

इतना ही नहीं लोग सोशल मीडिया पर भी सवाल पूछ रहे हैं कि कलियर में लोग दरगाह की जियारत के लिए आते हैं। दरगाह में नमाज नहीं, चादर पोशी होती है।

सर्व धर्म के लोग दरगाह पर अपनी मन्नत मुराद लेकर पहुंचते हैं। वहां ना किसी से उनका नाम पूछा जाता और ना ही इस आधार पर उनसे कोई भेदभाव किया जाता है। फिर अनुमति लेने की जरूरत कहां आन पड़ी है।

इसलिए लोग हैरत में है कि कलियर आने के लिए एक लड़की को हाईकोर्ट जाने के पीछे आखिर क्या मकसद हो सकता है। सवाल इसलिए भी उठाता है की इन दिनों उत्तराखंड में सरकारी जमीनों से धर्मस्थल हटाई जा रही है। मजार हटाने को लेकर मुस्लिम समुदाय में रोष है।

इस बीच एक हिंदू लड़की का दरगाह पर जाने के लिए हाईकोर्ट से अनुमति मांगना कई सवाल खड़े करता है। यही वजह है कि इस मामले को लेकर पुलिस प्रशासन भी सतर्क हो गया है।
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“याचिका में क्या बोली भावना…..

भावना का कहना है कि वह पिरान कलियर से प्रभावित हैं। वह यहां इबादत करना चाहती है। हाईकोर्ट ने आज उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को नमाज पढ़ने की इजाजत देते हुए पुलिस को सुरक्षा देने के आदेश दिए हैं।
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“धर्म नहीं बदला तो नमाज क्यों पढ़ना चाहते हो…..

कोर्ट ने भावना से पूछा कि आपने धर्म नहीं बदला है। फिर आप वहां नमाज क्यों पढ़ना चाहती हैं? जिस पर भावना ने कोर्ट को बताया गया कि वह इससे प्रभावित है, इसलिए वह वहां नमाज पढ़ना चाहती है। परंतु उनको पिरान कलियर में नमाज नहीं पढ़ने दी जा रही है। भावना ने कोर्ट को यह भी बताया गया कि उसने शादी नहीं की है। न ही वह अपना धर्म बदलना चाहती है। कहा कि वह हिन्दू धर्म की अनुयायी है। वह बिना किसी डर, आर्थिक लाभ, भय या दबाव के पिरान कलियर में इबादत करना चाहती है। जिसके लिए कोर्ट ने उन्हें अनुमति दे दी। साथ की पुलिस को सुरक्षा के लिए जरूरी इंतजाम करने के आदेश दिए।
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“सभी के लिए खुले है दरगाहों के दरवाज़े….

दरगाह साबिर पाक के सज्जादानशीन शाह अली एजाज़ कुद्दुसी साबरी का कहना है कि दरगाहों पर सभी धर्मों के लोग आते है, दरगाहो के दरवाजे सभी मजहबी लोगो के लिए खुले है, यहां कोई भेदभाव नही होता। अकीदतमंद किसी भी धर्म का हो, दरगाहों से फैजियाब होते है, किसी के लिए रोक लगाना या ये कहना कि इबादत करने में खतरा है ये बिल्कुल गलत है। विश्वभर से साबिर पाक में अकीदतमंद लोग आते हैं और फैजियाब होते है। यहां किसी से किसी का धर्म नही पूछा जाता, सुफिज्म एकता और आपसी भाईचारे का संदेश देता है जो पूरी दुनिया मे कायम है।