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पुलिसकर्मियों को पहाड़ चढ़ाने पर जोर, तो हरिद्वार-देहरादून में कैसे पकड़े जाएंगे डकैत और चोर..

पहाड़ में पुलिसकर्मियों से भरे पड़े हैं थाने, बड़े जिलों में सीएम धामी का विजन धरातल पर कैसे उतारेंगे अफसर..??

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पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: कभी सजा के नाम पर, कभी सीजन ड्यूटी तो कभी नियमों का हवाला देकर पुलिसकर्मियों को मैदान से पहाड़ चढ़ाने का एक सूत्रीय कार्यक्रम कई साल से चला रहा है। इस अंधी दौड़ के चलते मैदान के जिले पुलिसकर्मियों से लगभग खाली होने की कगार पर है, जबकि पहाड़ के जिलों में जरूरत से ज्यादा पुलिसकर्मी मौजूद हैं।

फाइल फोटो: पुलिस

हालात ये हैं कि मैदान के जिलों में पुलिस कम होने के बावजूद एक तरफ लूट, मर्डर, डकैती जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम देने वाले बदमाशों से जूझती है तो दूसरी तरफ समय-समय पर लॉ एंड ऑर्डर कायम रखने में भी उसे अपनी ताकत झोंकनी पड़ती है। हर महीने वीआईपी और वीवीआईपी मूवमेंट में अलग पसीना बहाना पड़ता है।

फाइल फोटो: पुलिस

दूसरी तरफ पहाड़ के जिलों में काम नहीं के बराबर है। पहाड़ के कई जिलों में पूरे साल में जितने मुकदमे दर्ज होते हैं, उससे कहीं ज्यादा मुकदमे हरिद्वार या देहरादून में किसी एक थाने में हो जाते हैं। पुलिसकर्मी विवेचनाओं के बोझ तले दबे हुए हैं। दूसरी तरफ पहाड़ के जिलों में हर थाना कोतवालियों में दारोगा, हैड कांस्टेबल और कांस्टेबल भरे पड़े हैं।

फाइल फोटो: पुलिस

आला अधिकारी पुलिसकर्मियों को मैदान से पहाड़ चढ़ने पर तो पूरा जोर देते हैं, लेकिन पहाड़ से पुलिसकर्मियों को नीचे उतरने में कोई दिलचस्पी नहीं है। सवाल यह है कि अधिकांश पुलिस कर्मियों को अगर पहाड़ ही चढ़ा दिया जाएगा तो फिर मैदान में अपराध और कानून व्यवस्था पटरी पर कैसे आएगी।

फाइल फोटो: सीएम पुष्कर सिंह धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश में अपराध व कानून व्यवस्था की स्थिति को चाक चौबंद करने के निर्देश पिछले दिनों दे चुके हैं। अधिकारी खुद भी यह मानते हैं कि मैदान के जिलों में कहीं ज्यादा पुलिस की जरूरत है। मगर पुलिसकर्मियों को मैदान से पहाड़ चढ़ाने की परिपाटी के बीच यह बात समझ नहीं आ रही है कि सीएम धामी के विजन को आला अफसर मैदानी जनपदों में धरातल पर कैसे उतारेंगे..?

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