आचार संहिता से पहले नहीं हुए ठेके तो खुलेआम होगी “लूट..
"दूध की रखवाली पर फिर से बिल्ली बैठाने की चर्चाएं..
पंच👊नामा-पिरान कलियर: प्रदेश में चुनावी माहौल है और चुनाव आयोग कुछ दिनों में ही आदर्श आचार संहिता लगाने की तैयारी कर रहा है जिसके बाद सरकारी नए कार्यों पर विराम लग जाएगा, इसी बीच दरगाह के वार्षिक ठेके भी आचार संहिता की भेंट चढ़ सकते है। या यूं कहें कि इसी बात का इंतेज़ार हो रहा है कि कब आचार संहिता लगें और इसकी आड़ में ठेकों का कार्य अधर में डाल दिया जाए।
ऐसा इसलिए प्रतीत हो रहा है कि जनवरी माह की अंतिम तारीख को ठेकों का समय पूरा होगा, और कभी मार्च में जाकर आचार संहिता खत्म होगी, इसलिए आचार संहिता के प्रोटोकॉल के मुताबिक ठेका प्रक्रिया होना सम्भव नही है, फिर उसी ढर्रे पर ठेकों को दरगाह कर्मियों के सुपुर्द कर दिया जाएगा, जिससे दरगाह को पूर्व की भांति प्रत्येक दिन नुकसान होने से इंकार नही किया जा सकता।
क्योंकि एक बार पूर्व में भी ऐसा हो चुका है, जब आचार संहिता लगने के कारण ठेके नही हो पाए थे, और कर्मचारियों को बेशकीमती ठेकों पर विराजमान कर दिया गया था जो ठेकों से कौड़ियों की इनकम दर्शाकर अपना हित साध चुके है। वजह ये है कि जिन ठेकों से दरगाह को करोड़ों की इनकम ठेकेदारों से प्राप्त होती है उन्ही ठेकों से कर्मचारी नाम मात्र इनकम दिखाते है, जबकि माल भी दरगाह का फरोख्त किया जाता है।
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आचार संहिता से पूर्व हो ठेके….
भले ही ठेकेदारों का समय जनवरी माह की अंतिम तारीख तक हो लेकिन अगर दरगाह कार्यालय आचार संहिता से पूर्व ठेका प्रक्रिया पूर्ण कर लेता है तो आचार संहिता में नए ठेकेदारों को कब्जा दिलाने और दरगाह को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। जनवरी में ठेकेदारों का समय पूरा होने पर नए ठेकेदार उक्त ठेकों को संभाल सकते है। इसलिए दरगाह दफ्तर (नीलाम कमेटी) आदर्श आचार संहिता से पहले ठेका प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाए, ताकि दरगाह को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके ।
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करोड़ो के ठेकों से कौड़ियों की इनकम….
पिछले वर्ष ठेका अवधि पूर्ण होने के बाद ठेकों को ठेकेदारों से कब्जामुक्त कराकर कर्मचारियों के सुपुर्द कर दिया गया था, जिसमे करोड़ो की इनकम वाली दुकान से कौड़ियों की इनकम दरगाह के खाते में जमा कराई गई थी, जिसपर सम्बंधित अधिकारियों से शिकायत की गई जिसकी जांच वर्तमान में भी विचाराधीन है।