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कोविड के प्रतिबंध हटे तो गंगा स्नान को उमड़ा “आस्था का सैलाब…..

कोविड काल के बाद पहली बार बिना रोक टोक हरिद्वार पहुंचे श्रद्धालु, व्यापारियों के चेहरे खिले

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कोविड के प्रतिबंध हटे तो गंगा स्नान को उमड़ा “आस्था का सैलाब…..

: कोविड काल के बाद पहली बार बिना रोक टोक हरिद्वार पहुंचे श्रद्धालु, व्यापारियों के चेहरे खिले
हिमांशु सरीन
पंच 👊 नामा:- हरिद्वार: प्रदेश सरकार की ओर से कोविड के अधिकांश प्रतिबंध हटा लेने के अगले ही दिन कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व पर “आस्था का सैलाब हरिद्वार उमड़ पड़ा। कोविड काल के बाद यह पहला स्नान पर्व है, जिसमें बिना रोक टोक इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे हैं। शुक्रवार अल सुबह से ही श्रद्धालुओं ने हरिद्वार हरकी पैड़ी पहुंचकर मोक्षदायिनी गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य कमाया। आलम यह रहा कि भीमगोडा की ओर से तड़के 5 बजे के बाद वाहनों की एंट्री बंद करनी पड़ी। केवल पैदल श्रद्धालुओं को ही आगे जाने दिया गया।

हरकी पैड़ी पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

श्रद्धालुओं का मानना है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने से सुख सम्रद्धि आती है और पाप से मुक्ति मिलती है। स्नान के मद्देनजर पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। कोविड काल में कुंभ समेत हर स्नान पर्व पर जनपद की सीमाओं पर चेकिंग और रोकटोक की जा रही थी। लगभग ढाई साल बाद कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व पर श्रद्धालु बिना किसी औपचारिकता के जनपद की सीमाओं को पार करते हुए हरिद्वार पहुंचे हैं। भीड़ को देखते हुए एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय, सीओ सिटी अभय प्रताप सिंह व शहर कोतवाल राकेन्द्र कठैत सुबह से मेला क्षेत्र में मोर्चा संभाले हुए हैं। एसपी यातायात प्रदीप कुमार राय व उनकी टीम डायवर्जन व पार्किंग व्यवस्था का पालन कराने में जुटी है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ योगेंद्र सिंह रावत

डीआईजी/एसएसपी हरिद्वार डा. योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि सुरक्षा के लिहाज से समस्त मेला क्षेत्र को 9 ज़ोन और 32 सेक्टर में बांटा गया है। करीब डेढ़ हज़ार का पुलिस बल मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए लगाया गया है।
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कार्तिक पूर्णिमा स्नान का महत्व
मान्यता है कि साल भर के बारह महीनों में कार्तिक मास को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस महीनें में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन से पूर्णिमा तक के पांच दिनों को काफी खास माना जाता है। एकादशी के दिन को भगवान विष्णु शयन से बाहर आते है और इस दिन को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है।

इस दिन से शादी विवाह सहित सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते है। इन पांच दिनों को ज्योतिषाचार्य पंचक कहते है। कहा जाता है इन पांच दिनों तक व्रत रखकर गंगा स्नान करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री बताते हैं कि पुराणों में भी कहा गया है कि जो व्यक्ति पूरे साल भर गंगा स्नान नही कर पाता है, वह कार्तिक की पूर्णिमा के केवल एक दिन भी गंगा में स्नान कर ले तो उसे उसे पूरे साल भर के गंगा स्नान के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हरिद्वार में आस्था की ङुबकी लगाने के लिए की संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैँ।

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