पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: अवैध खनन को लेकर सत्ताधारी और विपक्षी नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर खुले तौर पर चल पड़ा है। आम आदमी पार्टी ने सरकार पर खनन को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद की संपत्ति की जांच की मांग उठा दी है। जिसका नतीजा यह हुआ कि भाजपा मंडल अध्यक्ष आलोक द्विवेदी को मीडिया के सामने आकर सफाई देनी पड़ी। उन्होंने आप नेता नरेश शर्मा पर ही पैसे मांगने के आरोप लगा दिए। इतना ही नहीं, नौबत आप नेता नरेश शर्मा की पत्नी के फर्जी कागजात पर नौकरी के आरोपों तक पहुंच गई है। वहीं, खनन के इस पूरे खेल में हरिद्वार के कुछ अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। भाजपा मंडल अध्यक्ष आलोक द्विवेदी ने बुधवार को खुद यह दावा किया कि उन्हें साल 2018 में खनन पट्टा मिला और काम बंद होने पर हाईकोर्ट तक जाना पड़ा।
हाईकोर्ट के आदेश पर सात दिन काम का आदेश मिला, पर तीन दिन ही काम चल पाया। लेकिन अब उन्हें दो महीने तक खनन करने की अनुमति मिली है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी पहले ही सरकार के दबाव में अधिकारियों पर खनन कराने का आरोप लगा रही है। इस खुलासे से आम आदमी पार्टी के आरोपों को भी बल मिल रहा है। दूसरी तरफ मंडल अध्यक्ष आलोक द्विवेदी ने आरोप लगाया कि गलत रूप से उनका काम बंद कराया जा रहा है। इसको लेकर भी अधिकारियों की भूमिका पर खुद मंडल अध्यक्ष सवाल उठा रहे हैं। यहां सवाल यह है कि अवैध खनन में नेता-अफसरों की दाल में काला है, या पूरी दाल ही काली है। चूंकि सत्ता और विपक्षी नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप से अवैध खनन की पोल खुल कर सामने आ रही है। कुल मिलाकर खनन को लेकर नेताओं और अधिकारियों के साझे की हांडी अब चौराहे पर आकर धड़ाम हो गई है।
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आरोप लगाकर शांत बैठ गई कांग्रेस…….
हरिद्वार: हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में अवैध खनन के आरोपों को लेकर पिछले दिनों कांग्रेस नेता राजीव चौधरी और आलोक शर्मा ने हरिद्वार में पत्रकार वार्ता की थी। जिसमें स्वामी यतिस्वरानंद और प्रदेश सरकार पर खनन कराने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं, दोनों नेताओं ने 8 दिन में कार्रवाई ना होने हल्ला बोलने की चेतावनी भी दी थी। लेकिन कांग्रेस नेता पत्रकार वार्ता में आरोप लगाकर आंदोलन करना भूल गए। यही वजह है कि अवैध खनन को लेकर आम आदमी पार्टी ने फ्रंट फुट पर आकर मोर्चा संभाल लिया है और कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही है। कांग्रेस के आरोपों और दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।