हरिद्वार

निर्मल भेख की मीटिंग में रेशम सिंह को चुना श्रीमहन्त..

निर्मल भेख की मीटिंग में रेशम सिंह को चुना श्रीमहन्त- ज्ञानदेव सिंह पर अवमानना का लगाया आरोप..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: पंचायती अखाड़ा निर्मला को लेकर चल रहे विवाद में अब नया मोड़ आ गया है। श्री खडूर साहिब पंजाब में श्रीगुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थित‌ि में हुई निर्मल भेख की मीटिंग में बहुसहमति से श्रीमहंत बाबा रेशम सिंह को चुना गया था। सत्कार योग सिंह साहिब जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब ने आदेश किया है कि निर्मल भेख की मीटिंग में पंचायती अखाडा निर्मला के चुने गए श्रीमहंत बाबा रेशम सिंह को ही श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से मान्यता है। इस संबंध में निर्मला अखाड़ा के सचिव मनीष जगतार सिंह ने हरिद्वार में मीडिया को जानकारी दी। श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से जसपाल सिंह निजी सहायक जत्थेदार ने पत्र जारी कर कहा है क‌ि निर्मल पंचायती अखाडे का विवाद काफी समय से चल रहा है। इस विवाद के हल के लिए श्री अकाल तख्त साहिब व निर्मल भेख के दोनों धड़ों के कुछ चुनिंदा प्रतिनिध‌ियों और अखाडा परिषद के गणमान्य लोगों को एकत्र करने के लिए 10 जुलाई 2022 को निमंत्रण पत्र भेजा गया था। इस मीटिंग में बाबा ज्ञानदेव सिंह को भी निमंत्रण पत्र भेजा गया था, पर वह उपस्थित नही हुये। उन्हें शामिल ना होने का कारण पूछा गया पर उन्होने इसका जवाब देना भी जरूरी नहीं समझा। दोबारा फिर मीटिंग में शामिल ना होने का स्पष्टीकरण मागा गया, इनके द्वारा फिर कोई जवाब नही दिया गया। उस मीटिंग में श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से बाबा ज्ञानदेव सिंह को 40 दिन के भीतर निर्मल पंचायती अखाडा के मुख्य स्थान हरिद्वार में अखाडे के समूह साधु-संतों की मीटिंग बुलाकर आपसी विवाद मिल बैठकर हल करने के लिये कहा गया था। लेकिन बाबा ज्ञानदेव सिंह ने ऐसा नहीं किया। पत्र में कहा गया है क‌ि इस संबंध मे श्री अकाल तख्त साहिब के आदेश की आज्ञा ना मानने पर बाबा ज्ञानदेव सिंह के बारे में फैसला पंज सिंह साहिबान की अगली मीटिंग में किया जायेगा। वहीं, निर्मल अखाड़े के कोठारी महंत जसविंदर सिंह शास्त्री का कहना है क‌ि श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मल एक पंजीकृत संस्था है। उसका अपना बायलॉज है। उसमें सभी पदाधिकारियों के अपने -अपने अधिकार हैं। संस्था विधिवत रूप से संचालति हो रही है। संस्था की कार्यकारिणी में किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं है। संस्था की कोई भी बैठक हो। बैठक बुलाने का अधिकार केवल संस्था के अध्यक्ष को है। संस्था के पदाधिकारियों के अतिरिक्त बाहर के आदमी अपना प्रस्ताव जारी करते रहे। कोई फरमान जारी करे। उसकी कोई अहमियत है।

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