पिरान कलियर में “वीआईपी प्रोटोकॉल का उड़ रहा मख़ौल, छुटभैय्यों की चांदी….
अपना भौकाल दिखाने को दरगाह कर्मचारियों पर झाड़ते हैं रौब...
पिरान कलियर में “वीआईपी प्रोटोकॉल का उड़ रहा मख़ौल, छुटभैय्यों की चांदी….
: दरगाह में आने वाले किसी भी “सफेद कपड़े वाले को बना देते हैं वीआईपी
: अपना भौकाल दिखाने को दरगाह कर्मचारियों पर झाड़ते हैं रौब
पंच 👊 नामा
रूड़की: पिरान कलियर में “वीआईपी प्रोटोकॉल का माहौल बना कर रख दिया गया है। कोई भी छुटभैय्या नेता, दरगाह में जियारत को आने वाले किसी भी सफेद कपड़े पहने व्यक्ति को वीआईपी बताकर उसको बाकायदा प्रोटोकाल दिलवा देता है। इतना ही नहीं, कथित वीआईपी के सामने अपना भौखाल बनाने के लिए दरगाह कर्मचारियों पर फिजूल का रौब भी गालिब किया जाता है। इस खेल में दरगाह दफ्तर में बना एक “वीआईपी रूम इन छुटभैय्ये नेताओं के लिए “सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो रहा है। वहीं, अधिकारी भी दरगाह कर्मचारियों को यह नहीं समझा पा रहे हैं कि हर चमकदार चीज “सोना नहीं होती। नियमानुसार जिले में एक प्रोटोकॉल अधिकारी होता है, उसी की अनुमति पर किसी भी वीआईपी या वीवीआईपी को प्रोटोकॉल दिया जाता है। लेकिन पिरान कलियर में इस व्यवस्था के कोई मायने नहीं है। दरगाह कार्यालय में बाहरी लोगों का इस कदर हस्तक्षेप है कि वह जिसे चाहें “वीआईपी ठहरा देते हैं। प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ने का मामला जिलाधिकारी तक पहुंच चुका है।
पिरान कलियर स्थित दरगाह साबिर पाक में हर धर्म का जायरीन अपनी मन्नत मुरादें लेकर आता है। अकीदत के नजरिए से देखें तो खास या आम कुछ भी नहीं है। क्योंकि किसी एक शख़्स की अकीदत को, किसी दूसरे शख्स की अकीदत से तोला या मापा नहीं जा सकता है। दरगाह में आने वाले किसी “ओहदेदार को उसके पद के अनुरूप और सेलेब्रेटी” को महज सुरक्षा के लिहाज़ से वीआईपी प्रोटोकॉल की व्यवस्था की गई है। मगर पिछले कुछ अर्से में इस व्यवस्था का ऐसा बैंड बजाया गया कि सचमुच का वीआईपी अपने से इतर कथित “वीआईपी को देख ले तो शर्म के मारे आम जायरीन की तरह लाइन में लगकर जियारत करना पसंद करे। अपनी पार्टी के हल्के नेताओं और परिचितों को वीआईपी का टैग लगवाने के चक्कर में ये छुटभैय्ये नेता सिर्फ व्यवस्था का उल्लंघन ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि दरगाह कर्मचारियों का शोषण तक कर रहे हैं। शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जब सत्ताधारी पार्टी से लेकर विपक्ष का कोई लोकल नेता या रसूखदार समाजसेवी अपने साथ किसी कथित वीआईपी को लेकर न पहुंचता हो।
आम रास्ते के बजाए सीधे दरगाह के अहाते तक पहुंचाने के लिए इस वीआईपी रूम के दरवाजे का इस्तेमाल होता है। इस रूम में पहुंचते ही चाय-पानी से लेकर चादर और फूल आदि की जिम्मेदारी दरगाह कर्मचारियों की होती है। चादर और फूल लाने की कहानी इससे भी ज्यादा दिलचस्प है। हाल के दिनों में कई ऐसे प्रकरण सामने आए हैं, जिसमें छुटभैय्ये नेताओं की जेब गर्म होने की चर्चाएं भी जोर पकड़ गई हैं। यही वजह है कि किसी भी “ऐरा-गैरा को वीआईपी प्रोटोकॉल दिलाने का यह मामला पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी सुगबुगाहट जिलाधिकारी तक भी पहुंच गई है। छुटभैय्यों के चक्कर में ना सिर्फ कर्मचारी नप सकते हैं, बल्कि अधिकारियों से भी जवाब तलब हो सकता है। जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। वीआईपी प्रोटोकॉल उसी को मिलना चाहिए, जो इसका पात्र है। यदि कोई इसमें गड़बड़ी कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।