पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: रामलीला के दौरान रोशनाबाद जेल से दो कैदी फरार होने के मामले में आखिरकार छह कर्मचारियों पर गाज गिर गई है। दरअसल, जेल अधीक्षक मनोज आर्य के छुट्टी पर होने के चलते जेल का प्रभार कार्यवाहक अधीक्षक के तौर पर जेल के कारापाल प्यारेलाल आर्य के पास था।
इसलिए प्रभारी जेल अधीक्षक समेत 6 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। जेल मुख्यालय ने पूरे मामले की जांच डीआईजी जेल को सौंपी है। डीआईजी जेल कैदियों के फरार होने के साथ-साथ पिछले कुछ समय से जेल में लगातार होने वाले आयोजनों में बाहरी लोगों की मौजूदगी की जांच भी करेंगे।
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वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज आर्य फिलहाल कार्रवाई की जद में नहीं आए हैं, लेकिन जेल मुख्यालय से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जेल में समय-समय पर होने वाले कार्यक्रमों में जेल मैनुअल और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को लेकर शासन जल्द ही उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही भी तय कर सकता है।
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सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि जिला कारागार रोशनाबाद उत्तराखंड की सबसे बड़ी जेल है। कभी कुख्यात सुनील राठी तो कभी प्रवीण वाल्मीकि की जेल की सलाखों के पीछे से चलने वाली गतिविधियों को लेकर रोशनाबाद जिला कारागार लगातार सुर्खियों में रहती आई है।
लेकिन जेल से कैदियों के दीवार कूद कर फरार होने की घटना पहली बार सामने आई है। इसे सुरक्षा की बड़ी चूक और लापरवाही माना जा रहा है। हम बात यह भी है कि कारागार महकमा खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अधीन आता है। इसलिए भी घटना के बाद जेल प्रशासन में बड़ी कार्रवाई और बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।
—————————————-निलंबित हुए जेल स्टाफ में प्यारे लाल आर्य, प्रभारी अधीक्षक व कारापाल, कुवंर पाल सिंह, उप कारापाल सर्किल जेलर व चक्राधिकारी, प्रेमशंकर यादव, दिन हैड वार्डर, विजय पाल सिंह, हैड वार्डर-प्रभारी गिर्दा हेड, ओमपाल सिंह, बंदीरक्षक प्रभारी निर्माण स्थल और नीलेश कुमार हेड वार्डर-प्रभारी गेटकीपर को उनकी ओर से ड्यूटी के प्रति बरती गई लापरवाही को देखते हुए निलम्बित कर दिया गया है।
पुलिस कप्तान प्रमेन्द्र डोबाल ने 10 टीमों का गठन कर एसआईटी बनाई है, जो पूरे प्रकरण की जांच कर फरार कैदियों की तलाश में जुट गई है।
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर एक दावा यह किया गया कि फरार होने वाले कैदी रामलीला में वानर का रोल कर रहे थे। जबकि यह बात पूरी तरह गलत पाई गई है। जेल में 4 अक्टूबर से चल रही रामलीला में कुछ कैदियों ने ही अलग-अलग पात्र निभाए।
लेकिन फरार होने वाले कैदी रामलीला में अभिनय करने वाली टीम का हिस्सा नहीं थे। एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह ने भी इसकी पुष्टि की है।