हरिद्वार

रौ नदी की जमीन बेचने के मामले में पुलिस ने संत समेत पांच लोगों को बनाया आरोपी..

पैमाइश की रिपोर्ट का दो सप्ताह बाद भी कुछ अता-पता नहीं..

पंच👊नामा-ब्यूरो
विकास कुमार, हरिद्वार: रानीपुर झाल के समीप धोखाधड़ी कर रौ नदी की जमीन खुर्दबुर्द करने के मामले में पुलिस ने आखिकार चार आरोपियों को जांच में शामिल कर लिया है। नामजद संत सहित चार व्यक्तियों को आरोपी बनाते हुए सीआरपीसी की धारा 41 का नोटिस भी तामील कराया गया है। वहीं, इस मामले में एसएसपी के पत्र पर हुई पैमाईश की रिपोर्ट का दो सप्ताह बाद भी कुछ अता पता नहीं है। पुलिस जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई का दावा कर रही है।

फाइल फोटो

रानीपुर झाल के पास बहादराबाद क्षेत्र में कुछ महीने पहले सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर प्लॉटिंग करने का खुलासा हुआ था। महंत किशनदास निवासी घनश्याम भवन भूपतवाला की शिकायत पर तहसील प्रशासन की ओर से लगाए गए सरकारी बोर्ड पर भी कालिख पोत डाली थी।

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जिसके बाद पटवारी सुभाष जैमिनी की ओर से अज्ञात भूमाफियाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। साथ ही प्रशासन में भी शिकायत की गई। पुलिस और प्रशासन की जांच में सामने आया कि रामाआधार निवासी भूपतवाला की पावर आफ अटॉर्नी के आधार पर मुनेंद्र शान शर्मा निवासी धर्मपुर देहरादून ने ट्रस्ट की पांच बीघा भूमि और सरकारी 10 बीघा भूमि अवैध रूप से बेच डाली।

फाइल फोटो

इन जमीनों की रजिस्ट्रियां हरिद्वार तहसील में होती रही, लेकिन अधिकारी बेखबर रहे। निचले स्तर पर मिलीभगत के आरोप भी लगे थे। मामले की जांच कर रहे शांतरशाह चौकी प्रभारी हेमदत्त भारद्वाज ने बुधवार को आरोपी रामाधारदास शिष्य प्रयागदास, निवासी घनश्याम भवन भूपतवाला, मुनेंद्र शान शर्मा निवासी धर्मपुर चौक देहरादून, जाहिद खान निवासी त्रिमूर्तिनगर सुभाषनगर व श्रीपाल निवासी भेल रानीपुर हरिद्वार को बयान दर्ज करने के लिए बुलाया।इसके बाद उन्हें आरोपी बनाते हुए सीआरपीसी की धारा 41 का नोटिस तामील कराया गया। विवेचनाधिकारी उपनिरीक्षक हेमदत्त भारद्वाज ने बताया कि चारों आरोपियों को जांच में शामिल करते हुए नोटिस तामील कराए गए हैं। जांच अभी चल रही है, जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।

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“23 रजिस्ट्रियों पर लटकी तलवार………

फाइल फोटो

हरिद्वार: फर्जीवाड़ा उजागर होने पर उपजिलाधिकारी पूरण सिंह राणा के निर्देश पर राजस्व उपनिरीक्षक तेलूराम ने इस मामले की जांच की। जिसमें पता चला कि रामाआधार दास ने डीएम की अनुमति के बगैर अवैध रूप से साल 2021 में खसरा नंबर 649 की पावर आफ अटॉर्नी मुनिदर शान शर्मा के नाम पर की। इसी आधार पर शर्मा ने ट्रस्ट की भूमि और सरकारी जमीन को मिलाकर कुल 23 रजिस्ट्रियां की।

फाइल फोटो

राजस्व उपनिरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में इन रजिस्ट्रियों का उल्लेख करते हुए राज्य सरकार में निहित करने की संस्तुति भी की। इतना बड़ा खेल सामने आने के बावजूद अभी तक न तो तहसील प्रशासन की ओर से संबंधित कर्मचारियों से कोई जवाब मांगा गया और न रजिस्ट्रियों को लेकर अभी कोई कार्रवाई हुई। हालांकि, प्रशासन की शुरूआती जांच और पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर इन सभी 23 रजिस्ट्रियों पर तलवार लटकनी तय है।

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