धर्म-कर्महरिद्वार

साबिर पाक की नगरी में “दादा पीर गौस पाक” की ग्यारवी शरीफ का आयोजन, अकीदतमंदों ने उठाया फैज..

जश्न ए ग़ौसुल आज़म में मुख्य अतिथि के रूप में बरेली से खानकाह-ए-शराफतिया के गद्दीनशीन शाह गाजी मियां ने की शिरकत..

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पंच👊नामा
पिरान कलियर: अंजुमन गुलामाने मुस्तुफा सोसायटी की ओर से जश्न-ए-ग़ौसुल आज़म (ग्यारवी शरीफ) का भव्य आयोजन किया गया। जिसमे बरेली शरीफ़ की खानकाह-ए-शराफतिया सकलैनियां के गद्दीनशीन शाह गाजी मियां मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। अकीदतमंदों ने कोर कॉलेज तिराहे पर शाह गाजी मियां का फूल मालाओं से स्वागत किया जिसके बाद गाजी मियां का काफ़िला पिरान कलियर स्थित दरगाह बाबा जिलानी प्रोग्राम स्थल पर पहुँचा। कार्यक्रम की शुरुआत फ़ातिहा ख्वानी से शुरू हुई, इसके बाद नात’खाहों ने अपने-अपने कलाम पेश किए, जिसपर अकीदत झूमने पर मजबूर हो गए। बाद में मुल्क में अमनो सलामती और कार्यक्रम में पहुँचे अकीदतमंदों के लिए गाजी मियां ने दुआं कराई। बाद नमाजे ईशा लंगर’आम का एहतेमाम किया गया। अगली सुबह शाह गाजी मियां अपने मुरीदीन व अकीदतमंदों के साथ काफिले के रूप में दरगाह साबिर पस्क पहुँचे जहा दरबार ए साबिर पाक में खिराज ए अक़ीदत पेश कर मुल्क में खुशहाली, अमनो-चैन, और तरक्की की दुआएं मांगी गई।
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गद्दीनशीन बनने के बाद पहली बार पिरान कलियर पहुचें शाह गाजी मियां…..पिरान कलियर में होने वाला जश्न ए ग़ौसुल आजम हर साल धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व रखता है। पिछले साल, बरेली शरीफ की खानकाह-ए-शराफतिया के गद्दीनशीन शाह सकलैन मियां इस दुनियां ए फानी से रुख़्सत (पर्दा फरमा गए थे।

फाइल फोटो: शाह गाजी मियां

जिसके बाद उनकी जगह शाह गाज़ी मियां को गद्दीनशीन बनाया गया था। तभी से सिलसिले के तमाम फ़राइज़ शाह गाजी मियां ही अंजाम दे रहे है। इस साल, जश्न ए ग़ौसुल आजम में शाह गाज़ी मियां ने पिरान कलियर में गद्दीनशीन होने के बाद पहली बार शिरकत की। गद्दी पर बैठने के बाद इस आयोजन में उनकी पहली उपस्थिति थी। यह स्थानीय समुदाय के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर रहा, जिसमें उन्होंने नए गद्दीनशीन के मार्गदर्शन और उपस्थिति का आनंद उठाया।
—————————गौरतलब है कि जश्न-ए-ग़ौसुल आज़म हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी (रहमतुल्लाह अलैह) की याद में मनाया जाता है, जो इस्लाम के प्रसिद्ध सूफी संतों में से एक थे। उन्हें “गौस-ए-आज़म” के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है “महान सहायक” या “राहनुमा।” उनका जीवन शिक्षा, आध्यात्मिकता, और सेवा का प्रतीक माना जाता है। सूफी अनुयायी इस दिन को खास तरीके से मनाते हैं, जिसमें कुरआन ख्वानी, महफिल-ए-समां, लंगर, और चादरपोशी जैसी धार्मिक गतिविधियां होती हैं। इसका उद्देश्य अल्लाह के प्रति प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देना होता है।
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अंजुमन की ओर से होता है आयोजन….अंजुमन गुलामाने मुस्तफा सोसायटी एक मुस्लिम विख्यात संस्था है, जो पैगम्बर मुहम्मद साहब की शिक्षाओं व सुफिज्म के प्रचार प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सोसायटी की ओर से सेकेट्री हाजी शादाब साबरी, कलियर इकाई के सदर हाजी गुलशाद सिद्दीकी इस आयोजन में मुख्य भूमिका निभाते है, इस कार्य मे अन्य अक़ीदतमंद भी अपना सहयोग देते है।हरिद्वार: पिराने-पीर दस्तगीर हजरत शेख अब्दुल कादिर जिलानी गौस-ए-पाक की ग्यारहवीं शरीफ अकीदत और खुलूस के साथ मनाई गई। फातिहाख्वानी के बाद मुल्क में अमन चैन की दुआएं मांगी गई। ज्वालापुर स्थित मोहल्ला कोटरावान में सोमवार की रात खानकाह-ए-फैजाने वाहिद के गद्दीनशीं हजरत सैय्यद फरीद आलम साबरी साहब की सरस्पती में ग्यारहवीं शरीफ का आयोजन किया गया। फातिहाख्वानी के बाद मुल्क की खुशहाली, सलामती की दुआ कराई गई। इस मौके पर हजरत सैय्यद फरीद आलम साबरी ने कहा कि अल्लाह ने पीरान-ए-पीर दस्तगीर हजरत शेख अब्दुल कादिर जिलानी गौस-ए-पाक को गौसियत (वलियों का सरदार) का मुकाम दिया है। वह सब वलियों के सरदार हैं। हर साल इस्लामिक कैलेंडर के रबीउस सानी महीने में 11 तारीख को ग्यारहवीं शरीफ मनाई जाती है। वहीं देर रात तक चली महफिल की शुरुआत सलाम (अस्सलाम ए हजरते मखदूम साबिर) से हुई। मशहूर कव्वालों ने मैं उस तस्वीर ला सानी के सदके.. आदि सूफिया कलाम पेश किए। इसके सभी अकीदमंदों को गौस-ए-पाक का पारंपरिक खीर का लंगर वितरित किया गया। इस दौरान सैय्यद वासिफ मियां, सैय्यद आलम, सैय्यद मुजीब, सैय्यद अली सरवत, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राव आफाक अली, राव फरमान उर्फ भूरा खां, चौधरी हनीफ खान, राव अबरार अली, पप्पू खान, कालू खान, मेहरबान खान, गुलफराज अहमद, शहजाद, अब्दुल सुब्हान, समीर अली आदि मौजूद रहे।

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