राधास्वामी सत्संग सभा दयालबाग आगरा में “इंटरनेशनल सेंटर के उद्घाटन समारोह का शुभारंभ…
पंच👊नामा- आगरा: एग्रोइकोलॉजी (कृषि परिस्थितकी तंत्र) जो मनुष्य के जीवन पोषण, प्रकृति और स्वस्थ जीवन शैली का सामजस्य है का आज अमेरिका के वैज्ञानिक सुदूर अफ्रीका में अध्ययन करने में प्रयासरत हैं। वहाँ की प्रमुख वैज्ञानिक पत्रिका Scientific America के नवम्बर 2021 वाले अंक में यह खोज प्रधानता से प्रकाशित है और भविष्य में इसे विश्व शान्ति का एक माध्यम माना गया है।
श्री नोवा भोजवानी, ब्रांच सेक्रेटरी, न्यू जर्सी, वहाँ की सम्पत्ति के विषय में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की दयालबाग राधास्वामी सत्संग एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (डी. आर. एस. ए. एन. ए) की पेंशन रोड संपत्ति एक पंजीकृत निकाय ओल्ड ब्रिज टाउनशिप, न्यू जर्सी, यूएसए में स्थित है। यह 19.5 एकड़ में फैला हुआ है, और 2006 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग एक क्षेत्र 4 एकड़ आर्द्रभूमि है, जो आवास वृद्धि और अन्य सामाजिक लाभों के लिए अत्यधिक अनुकूल है।
दयालबाग से मार्गदर्शन के आधार पर समूह ने संपत्ति पर दो रिक्रिएशनत वाहन (आर. वी.) इंटीग्रल ट्रेलर सुविधा के साथ आधुनिक मोबाइल आवास, सत्संग आरवी और केयरटेकर आरवी के रूप में वर्गीकृत करके एक प्रयोग शुरू किया है। जिसका उद्देश्य इस स्थान को राधास्वामी सत्संग सभा, दयालबाग (धार्मिक और धर्मार्थ समाज के रूप में पंजीकृत) के मॉडल पर और शिक्षा के लिए प्राथमिक ध्यान के रूप में डी. ई. आई. (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी के साथ अंतर्राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र के रूप में विकसित करना है।
इंटरनेशनल सेंटर फॉर एग्रोकोलॉजी (आई. सी. ए.) कृषि पारिस्थितिकी के विशाल क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के संचालन के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के रूप में उभरेगा। आई. सी. ए. बड़े पैमाने पर वनों की कटाई, पानी की कमी, जैव विविधता की हानि, मिट्टी की कमी, असमान खाद्य उपलब्धता हेतु संसाधन गहन कृषि प्रणालियों की समकालीन और भविष्य की वैश्विक चुनौतियों के लिए नुस्खे विकसित करने की दिशा में दुनिया भर से अनुसंधान विद्वानों और वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और सामुदायिक नेताओं, विचारशील नेताओं और प्रशासकों और बहुराष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मेजबानी करेगा।
डा० विशाल साहनी, जनरल मैनेजर राजाबरारी एस्टेट ने अपने उद्बोधन में बताया कि हमें इसे अनुभव करने सुदूर अफ्रीका नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के हरदा जिले के 8000 एकड़ के वन-धाम, राजाबरारी एस्टेट जाना होगा जहाँ भविष्य के वर्षों में नहीं, अपितु 100 वर्ष पहले ही परम गुरु हुजुर साहबजी महाराज, राधास्वामी मत के पाँचवे आचार्य और दयालबाग के संस्थापक ने क्रियान्वित कर दिया था। सन् 1919 में अंग्रेज महिला Mrs. Murray से साहबजी महाराज ने इसे अपनी निजी सम्पत्ति के रूप में खरीद कर सतसंग को भेंट कर दिया और आदिवासी विकास प्रणाली को एक नया आयाम प्रदान किया।
ऐसे स्थानों पर यही एक विकास मार्ग है, जहाँ आदिवासी पहचान, कुल या वंश की मर्यादा और विभिन्न धार्मिक निष्ठा के बावजूद एक दूसरे में ऐसे घुल मिल जाते हैं जैसे प्रकाश के सातों रंग एक दूसरे में मिलकर सफेद हो जाते हैं।
जहाँ रबी की भरपूर फसल एक स्वपन थी वहाँ एस्टेट द्वारा निर्मित 26 Stop-dam या लघु बाँध बरसात का पनी एकत्रित करके कई परिवारों को अपने तथा पशुओं के पालन पोषण की राह को समय बना रहे हैं। सौर ऊर्जा से यहाँ स्ट्रीट लाइट, पानी के पम्प और कम्प्यूटर लैपटॉप चल रहे हैं। शायद ही विश्व में ऐसा कोई उदाहरण मिले, जहाँ भूमिस्वामी ने 0.1 प्रतिशत खोट पर भूमि साझेदारों को उपलब्ध कराई गई हो।
अमेरिका में लाखों डॉलर खर्च करके नवीनतम Recreated vehicle बनाए जा रहे हैं परन्तु यहाँ पर परम गुरु हुजुर डा० लाल साहब द्वारा इस्तेमाल की गई Mahindra Armada के पीछे बॉस ट्राली से छात्रों को मध्याह भोजन पहुँचाया जाता है। एक बैलगाड़ी में बैठ कर अत्यन्त आधुनिक UID Card बन रहे हैं और आदिवासी छात्र Stanford University, America में सृजित fold-scope से विज्ञान की खोज में लगे हैं। पौष्टिक मध्याह्न भोजन में यहीं पर उपजे अनाज, दालें, सब्जिय मसाले और दुग्ध उत्पाद प्रयोग किये जाते हैं, जिससे ढाणावासियों को आर्थिक सहायता भी मिलती है।
प्रो० एस०एस० भोजवानी, अध्यक्ष, साइन्टिफिक कमेटी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए दयालबाग की जीवन शैली पर प्रकाश डाला. दयालबाग के लिए तो Agroecolgy कोई नई प्रणली नहीं है यहाँ तो लगभग 100 वर्षों से इसी प्रणाली के आधार पर विकास प्रक्रिया अपनाई गई है। दयालबाग जैसा कि नाम से विदित है, एक हरी भरी कॉलोनी जो कि वृक्षों, सुन्दर पौधों एवं फल-फूलों से सुसज्जित है। दयालबाग़ में पेट्रोल डीजल चालित वाहन प्रतिबन्धित है तथा यहाँ के निवासी आवागमन के लिए साइकिल, रिक्शा तथा e-रिक्शा का प्रयोग करते हैं। सभी घरों में P.N.G. का इस्तेमाल होता है। सम्भावित उच्च प्रदुषण को रोकने के लिए लगातार पानी का छिड़काव किया जाता है। गौशाला के जानवरों को शुद्ध जैविक चारा खिलाया जाता है जिससे कॉलोनीवासियों को शुद्ध व पौष्टिक दूध मिलता है। खेती में किसी भी प्रकार के हानिकारक कीटनाशक, जीवनाशक प्रयोग नहीं किये जाते हैं, नहीं केमीकल खाद का प्रयोग होता है। झ० बानी दयाल धीर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि किस प्रकार ICNC Tall Lab बच्चों के
विकास तथा बुद्धिमत्ता एवं ज्ञान को बढ़ाने में मदद कर रही है। यह लैब पूर्णतया आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है। कार्यक्रम के अन्त में विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए दयालबाग की उत्तम जीवनशैली की प्रशंसा करते हुए विचार व्यक्त किये। ऐसी ही जीवनशैली अपना कर विश्व की समस्याओं का हल सम्भव है। वर्षों पुरानी प्रमाणित प्रणली को अपना कर ही भूमि, जल, वायु एवं प्राकृतिक स्त्रोतों का अनावश्यक दोहन रोका जा सकता है साथ ही प्रदुषण को रोका जा सकता है। अन्न, जल इत्यादि की कमी को भी पूरा किया जा सकता है।
इस दौरान परम श्रद्धेय परम पूज्य हुजुर प्रो० प्रेम सरन सतसंगी साहब एवं परम आदरणीय रानी साहिबा ने पूरे समय उपस्थित रह कर कार्यक्रम की शोभा बढायी। कार्यक्रम का संचालन श्री गुरु स्वरूप सूद, अध्यक्ष, राधास्वामी सतसंग सभा ने किया तथा कार्यक्रम में दयालबाग एवं डी० ई० आई० के गणमान्य व्यक्ति सम्मिलित हुए कार्यक्रम के दौरान सन्त सुपर मैन स्कीम के नन्हे बच्चों ने बहुत ही आकर्षक प्रस्तुति दी।
इस खुशी के अवसर पर समस्त दयालबाग कॉलोनी, डी० ई० आई० के समस्त भवनों एवं सतसंग से जुड़े 500 केन्द्रों पर विद्युत सज्जा की गई एवं परम पुरुष पूरन धनी हुजुर स्वामी जी महाराज की पवित्र समाध को भी रंगबिरंगी रोशनी से रोशन किया गया।