बेहोश मां के रूप में लाचारी लेकर भटक रहा था मासूम, दो पत्रकार बने फरिश्ता..
महिला को समय से अस्पताल पहुंचा कर बचाई जान, निभाया इंसानियत का फर्ज, (देखें वीडियो)..

पंच👊नामा
रुड़की: गरीबी, हिंसा और बीमारी का दंश बच्चों के हिस्से में भी आता है। या यूं कहें कि लाखों का बचपन जिंदगी की जद्दोजहद में ही गुजर जाता है। शिक्षा, अधिकार या बचपन किसे कहते हैं शायद कुछ मासूम ये भी नहीं जानते। एक ऐसा ही नज़ारा रुड़की की सड़क पर दिखाई दिया। एक 5 साल का मासूम अपनी बीमार माँ को बेहोशी की हालत में व्हीलर चेयर पर लेकर सफर तय कर रहा था, तो अचानक उस कुदरत ने दो पत्रकारों को फरिश्तों के रूप में उनके पास पहुँचा दिया।
जब पत्रकारों ने महिला को बेहोश व्हीलचेयर पर देखा तो गाड़ी रोकर बच्चें से हालचाल जाना, और महिला की हालत को गंभीर देखते हुए उसे तुरंत अस्पताल पहुँचाया।
जहा डॉक्टरों की कड़ी मशक्कत के बाद महिला की हालत में सुधार है, डॉक्टरों के मुताबिक यदि महिला को अस्पताल पहुँचाने में समय लगता तो वह जान भी गवा सकती थी।
जानकारी के मुताबिक़ रुड़की के पत्रकार सलमान मलिक व डॉ अरशद किसी काम से पिरान कलियर आरहे थे, जब वह सोलानी पुल के पास पहुँचे तो उनकी नज़र एक बच्चे पर पड़ी जो अपनी बीमार माँ को व्हीलचेयर पर लेकर पैदल कलियर की ओर जा रहा था।
महिला को बेहोशी की हालत में देख दोनो पत्रकार रुके और बच्चे से हालचाल जाना, तो बच्चे ने बताया दो दिन से उसकी माँ ने खाना नही खाया जिसके कारण वह बेहोश हो गई, तब पत्रकारों ने महिला के चेहरे पर पानी भी डाला लेकिन वह होश में नही आई।
इसके बाद पत्रकार सलमान मलिक ने अपने एक मित्र को फोन पर पूरी जानकारी दी और उसे मौके पर बुलाकर महिला व बच्चे को रुड़की सिविल अस्पताल पहुँचाया जहा डॉक्टरों ने महिला का उपचार शुरू किया और काफी मशक्कत के बाद महिला होश में आई।
डॉक्टरों ने बताया महिला की हालत नाजुक थी अगर सही समय पर महिला को अस्पताल ना लाया होता तो वह जान भी गवा सकती थी।
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बीमार माँ का जिम्मा मासूम के कंधों पर……
सिर से बाप का साया छीन जाने के बाद बीमार माँ का जिम्मा 5 साल के मासूम के कंधों पर आगया, मासूम अपनी बीमार माँ को व्हीलचेयर पर लेकर भीख मांगकर अपना गुजर बसर कर रहा है। ऐसे में शिक्षा या बाल अधिकार की बाते इस मासूम के लिए कोई मायने नही रखती।—————————————-
छीन गया बचपन….
ऐसे नाजाने कितने मासूम बच्चे है जिनका बचपन जिंदगी की जद्दोजहद में गुम हो गया। जो उम्र खेलने कूदने की होती है उसी उम्र में परिवार का जिम्मा और दो वक़्त की रोटी का सवाल, मासूम बच्चो की जिंदगी पर इस कदर हावी हो जाता है कि उनको बचपन याद ही नही रहता, जिसकी जीती जागती मिसाल ये 5 साल का मासूम बच्चा है।—————————————
चौतरफा हो रही प्रशंसा……
मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है, इसकी बानगी पत्रकार सलमान मलिक और डॉ अरशद ने साबित की है। दोनो पत्रकारों ने अपने जरूरी काम को छोड़कर पहले जरूरतमंद महिला की मदद की और उसे अस्पताल पहुँचाया, महिला की जान बचाने वाले पत्रकारों की चौतरफा प्रशंसा हो रही है।
