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हरदा के लिए इरशाद अंसारी दल बदल कर भी अपने, हनीफ अंसारी अपने होकर भी पराये..

मुस्लिम मतदाताओं में गया गलत संदेश..

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पंच👊नामा-हरिद्वार: हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय की ओर से सबसे पुराने कांग्रेसी कार्यकर्ता एडवोकेट हनीफ अंसारी की नाराजगी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से उस समय और बढ़ गई जब उन्होंने फेरूपुर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान अनुपस्थित रहे इरशाद अली का नाम तो लिया, लेकिन हनीफ अंसारी का जिक्र तक नहीं किया। इस नाराजगी की आग में घी डालने का काम उस समय और हुआ जब पार्टी को दो बार अलविदा कहने वाले इरशाद अली के घर हरीश रावत पहुंचे  और उन्हें साथ लेकर धनपुरा कार्यालय आए लेकिन धनपुरा से सटे एडवोकेट हनीफ अंसारी के गांव पदार्था में उनके आवास पर नहीं पहुंचे। इस बात से मुस्लिम मतदाताओं के नजर में जो संदेश गया वह एडवोकेट हनीफ अंसारी की नाराजगी को और मजबूत कर गया, हनीफ अंसारी सबसे पुराने कांग्रेसी कार्यकर्ता जिन्हें एक बार हरीश रावत ने राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया था। हनीफ इस बार अपने टिकट को पक्का मानकर चल रहे थे लेकिन उन्हें इस बार भी उनके हाथ निराशा ही लगी, जबकि इनके बाद कांग्रेस ज्वाइन करने वाले इरशाद अली को 2012 में कांग्रेस पार्टी से प्रत्याशी बनाया गया था 2017 में खुद हरीश रावत इस सीट से चुनाव लड़े थे लेकिन वह भारी अंतर से हार गए थे इरशाद अली कांग्रेस में टिकट ना मिलता देख बसपा से टिकट दिए जाने के आश्वासन पर उन्होंने सहारनपुर जाकर बसपा ज्वाइन की थी। बसपा ने भी इन्हें नजरअंदाज कर भाजपा छोड़कर आए डॉ दर्शन शर्मा को चुनाव से 2 महीने पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिया था। खुद को ठगा सा  महसूस कर रहे इरशाद अली ने  डेढ़ साल के बाद ही टिकट दिए जाने के आश्वासन पर दिल्ली जाकर हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। वह इस बार फिर अपना टिकट पक्का मानकर चल रहे थे लेकिन ऐन वक्त पर हरीश रावत की लड़की अनुपमा रावत ने बाजी मार ली और इरशाद अली इस तरह दोनों ही तरफ से खाली हाथ रहे। इरशाद अली के बसपा में जाने के बाद एडवोकेट हनीफ अंसारी अपना रास्ता सॉफ्ट मान रहे थे लेकिन अनुपमा ने आकर इनका भी गणित बिगाड़ दिया। हालांकि इस सीट पर कई लोग और भी थे जिन्होंने कांग्रेस से अपनी दावेदारी की थी।

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