पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: जिले में महिला पुलिसकर्मियों की ऐसी भी एक फौज है, जिसकी भरपूर मौज है, वे सही मायने में सरकारी नौकरी का लुत्फ उठा रही हैं। हालात ये हैं कि थाने-कोतवाली महिला पुलिसकर्मियों से खाली हैं और दफ्तर भरे पड़े हैं।
हैरत की बात यह है कि दफ्तरों में तैनात महिला पुलिसकर्मियों के लिए ट्रांसफर जैसा कोई झंझट नहीं है। थाने-कोतवालियों में तैनात चंद महिला पुलिसकर्मियों की तरह वीआईपी ड्यूटी, इमरजेंसी ड्यूटी तो भूल ही जाइये, संडे और सेकंड सैटरडे से लेकर हर त्यौहार पर छुट्टी का आनंद ही आनंद।
यह तो कुछ भी नहीं, कई सालों से दफ्तर, हेल्पलाइन और कोर्ट समेत अन्य आरामदायक जगहों पर ड्यूटी टाइम में रील्स और वीडियो बनाकर कोई फेसबुक पर सेलिब्रिटी बन चुकी है तो कोई इंस्टाग्राम की मास्टर है।
इतनी मौज भरी नौकरी हो तो फिर कोई क्यों थाने-कोतवाली में धूल फांकना चाहेगा। यही वजह है कि कोई 5 साल से दफ्तर में तैनात है तो किसी ने 10 साल से हेल्पलाइन व कोर्ट नहीं छोड़ा। किसी को वर्दी पहने बरसों गुजर गए।
दूसरी तरफ थाने और कोतवालियों में तैनात इक्का-दुक्का महिला पुलिसकर्मी रूटीन काम से लेकर वीआईपी मूवमेंट, आपात ड्यूटी, झगड़ा-झंझट के बीच रात-दिन ड्यूटी को मजबूर हैं।
इस असमानता से अंदर ही अंदर असन्तोष है। बात वाजिब भी है, समान वेतन मिलने पर काम भी समान होना चाहिए। आला अधिकारियों को इस असमानता को खत्म करने की जरूरत है।
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अफसरों के दफ्तरों में सबसे से ज़्यादा महिलाएं……
हरिद्वार: अधिकारियों के दफ्तरों में सबसे ज्यादा महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं। कई पुलिस क्षेत्राधिकारियों के दफ्तर में 4 से 6 महिला पुकिसकर्मी डटी हुई हैं। ऐसे में यह कहना भी उचित नहीं है कि अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है। इतना जरूर है कि कोई सहानुभूति तो कोई किसी अन्य कारण से महिला पुलिसकर्मियों को हिलाने से बचता है। इसी तरह महिला हेल्पलाइन में भी जरूरत से ज्यादा महिला पुलिसकर्मी ड्यूटी बजा रही हैं। लंबे अरसे से दफ्तरों में तैनाती के पीछे इक्का-दुक्का महिला पुलिस कर्मियों की शायद कुछ मजबूरी हो सकती है, लेकिन अधिकांश के साथ ऐसा नहीं है।