“कलियर दरगाह: प्रबंधक की सूफियाना अदाएं… लंगर घोटाले के नोटिसधारी भी बने महफ़िल/काफिले का हिस्सा..!
“नोटिस थमाया, फिर संग लगाया काफिला… प्रबंधक महोदया का दोहरा चरित्र बना चर्चा का विषय..

पंच👊नामा
पिरान कलियर: दरगाहों की व्यवस्थाएं संभालना, आय-व्यय का हिसाब रखना और कर्मचारियों पर पैनी निगाह रखना — यही जिम्मेदारी होती है प्रबंधक की। लेकिन कलियर दरगाह में इन दिनों तस्वीर कुछ और ही है। वर्तमान महिला प्रबंधक व्यवस्था से ज्यादा सूफियाना रंग-ढंग में रमी नज़र आ रही हैं।हाल ही में साबिर पाक के उर्स के सकुशल संपन्न होने पर मेला प्रभारी और थानाध्यक्ष ने जहां सादगी से दरगाह शरीफ में चादर पेश कर दुआ मांगी, वहीं प्रबंधक महोदया ने बाकायदा काफिले के साथ, कव्वालों की धुन पर, कर्मचारियों की जमात संग दरगाह पहुंच कर “अक़ीदत का इज़हार” किया।
दिलचस्प यह कि इस जमात में वही कर्मचारी भी शामिल रहे, जिन पर लंगर के पैसों में धांधली का आरोप लगा और जिन्हें प्रबंधक ने चंद रोज़ पहले ही नोटिस थमाया था।
खानापूर्ति या मिलीभगत….?
मामला बेहद गंभीर है। लंगर दान की रकम में गड़बड़ी अपराध की श्रेणी में आती है। अतीत में ऐसे मामलों में कर्मचारियों की सेवा समाप्त करना तो दूर, बाकायदा मुकदमे भी दर्ज हुए हैं। लेकिन इस बार कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति हुई और आरोपी कर्मचारियों को नोटिस थमाकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। और अब वही नोटिसधारी कर्मचारी प्रबंधक के साथ दरगाह शरीफ में अक़ीदत पेश करते नज़र आए। सवाल उठना लाजिमी है—क्या नोटिस सिर्फ दिखावे के लिए था?
“सूफियाना प्रबंधन” पर चर्चाएं….
यह पहला मौका नहीं है जब प्रबंधक महोदया का अंदाज़-ए-बयां सुर्खियों में आया हो। इससे पहले भी वे बाकायदा गद्दी सजाकर कव्वाली की महफिल की सदारत कर चुकी हैं। अब सवाल यह है कि प्रबंधक का काम व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखना है या फिर सूफियाना रंगत में महफ़िल सजाना?दरगाह से जुड़े लोगों का कहना है कि व्यवस्थाओं की अनदेखी और आरोपित कर्मचारियों के साथ मंच साझा करना निश्चित ही सवालों के घेरे में है। जहां अतीत में गड़बड़ी पर कड़ी कार्रवाई होती रही, वहीं आज सिर्फ नोटिस थमाकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेना—लोगों की जुबान पर यही कह रहा है: “व्यवस्था गई तेल लेने, सूफियाना अदाओं में मस्त हैं प्रबंधक महोदया…”