शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को समर्पित मेरी कविता
पहचानो कौन हूं मैं
हां,
नदी हूं मैं,
जो तुम जैसी तमाम छोटी-छोटी लहरों को,
अपनी गोद में लेकर चलती है,
और,
उन्हें उनकी मंज़िल तक पहुंचाती है,
हां,
नीलगगन हूं मैं,
जो अपने आंचल में,
तुम जैसे असंख्य नन्हें परिंदों को उड़ान भरने ,
फलने-फूलने का,
मौका देता है
हां,
धरती हूं मैं,
जिसकी कोख से तुम जैसे,
नन्हें -नन्हें न जाने कितने,
पौधे जन्म लेते हैं,
और
एक दिन मेरी ही गोद में,
छायादार पेड़ बन जाते हैं,
हां,
हवा हूं मैं,
जिसमें सांस लेकर तुम
जीना सीखते हो,
सजीव होना सीखते हो,
हां,
अग्नि हूं मैं,
जो तुम्हारे अंदर ज्ञान की ज्वाला
प्रज्ज्वलित करती हूं,
पहचाना,
कौन हूं मैं
तुम्हारी
शिक्षिका हूं मैं।।
Poem by
Asma Subhani
Roorkee