पंच👊🏻नामा-ब्यूरो
सुल्तान, हरिद्वार: पुलिस की भाषा में हरिद्वार जिला यूं ही मलाईदार नहीं कहा जाता। जिले में आमद हो और अच्छा थाना-कोतवाली हाथ आ जाए तो समझ लीजिए कि आते ही “गंगा नहा लिए।एक कोतवाली के साहब बड़े किस्मत वाले हैं। उन्हें तो जैसे “अलादीन का चिराग मिल गया। चिराग भी पूरी तरह हाईटेक। जिसे रगड़ने की भी जरूरत नहीं। रोज़ सुबह दरबार में जिन्न हाजिर… और पूछे क्या हुक्म है मेरे आका..??साहब को मुंह खोलने की ज़हमत ही क्या, उनकी सेहत के लिए “दूध, घी, मट्ठा, रूह-अफज़ा, जॉगिंग के लिए “कच्छा-बनियान और सर्दियों में त्वचा की देखभाल के लिए स्पेशल क्रीम बिन मांगे हाजिर। मतलब साहब की पांचों उंगलियां घी और सिर कढ़ाई में। कभी-कभी तो मन में ख्याल आता होगा कि जरूर पिछली पोस्टिंग में कोई पुण्य कर्म किए होंगे, जिसका फल हरिद्वार जैसे धार्मिक जिले में एक समर्पित सेवक के रूप में मिला है। हालांकि, सेवक का लगाव सिर्फ इकलौते साहब पर नहीं है, छोटी से लेकर बड़ी कुर्सी वालों के जन्मदिन याद रखना और टेबल पर केक काटना उसका शगल है।फिर इसके लिए दूसरा, तीसरा और चौथा जिला ही क्यों ना लांघना पड़े। मान न मान, मैं तेरा यजमान। तीन बार हैप्पी बर्थडे टू यू और चार फोटो क्लिक करने के पांचवे मिनट में फोटो ‘फुर्सत के पल वाले कैप्शन के साथ जुकरबर्ग के मोहल्ले में। यकीन ना हो तो “फेस वाली बुक” के पन्ने पलट लीजिए।कुछ भी कहो, फिलहाल कोतवाली वाले साहब और सेवक दोनों की बल्ले-बल्ले है। ज्यादा दिमाग ना लगाएं, बस इतना समझ लीजिए “भगवान का नाम, आम का काम और गुठलियों के दाम। हालांकि, गर्मी-सर्दी-बरसात देखने के बाद कोतवाली में साहब का वक्त पूरा होने को है, लेकिन यह तय है कि साहब जहां जाएंगे, जिन्न हाज़िर होगा।
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साहब की जान मट्ठे की बोतल में….
साहब को मट्ठा बेहद पसंद है। सारे मुलाजिम यह अच्छी तरह जानते हैं। मट्ठे से जुड़ा एक किस्सा भी चर्चाओं में है। एक पड़ोसी ने गलती से मट्ठा चख लिया, बस फिर क्या था। मजबूर की दुकान उजड़ने से बाल-बाल बची।