ऋषिकुल विद्यापीठ की करोड़ों की भूमि पर भू-माफियाओं की नजर, डीएम ने लगाई रोक..
बिना परवाना पहुंचे ही नाम दर्ज, तहसील प्रशासन की जल्दबाजी पर सवाल..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: हरिद्वार के मध्य में स्थित पॉश विकास कॉलोनी में करोड़ों की बेशकीमती भूमि को खुर्द-बुर्द करने की साजिश रची जा रही थी। यह भूमि ऋषिकुल विद्यापीठ की है, जिसे 1913 में अखाड़ा निर्वाणी ने दान में दिया था।

हाल ही में राजस्व परिषद देहरादून ने इस भूमि पर श्याम सुंदर सिंघानिया के पक्ष में फैसला सुना दिया, लेकिन जिलाधिकारी कर्मेद्र सिंह ने इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी।
————————————
जल्दबाजी में नाम दर्ज करने पर उठे सवाल…..हैरानी की बात यह है कि तहसील प्रशासन ने इतनी जल्दी दिखाई कि राजस्व परिषद के आदेश का परवाना पहुंचे बिना ही भूमि के राजस्व अभिलेखों में नाम दर्ज कर दिया। आमतौर पर इस तरह के मामलों में कानूनी प्रक्रियाएं पूरी होने का इंतजार किया जाता है, लेकिन यहां एक “छोटे साहब” की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं, जिन्होंने कथित रूप से इस पूरे खेल को अंजाम दिया। चर्चा है कि इस जल्दबाजी के पीछे करोड़ों के लेन-देन का खेल छिपा हुआ है।
————————————
क्या है पूरा मामला…?हरिद्वार के मौजा शेखुपुरा उर्फ कनखल परगना ज्यालापुर में स्थित यह भूमि 02 सितंबर 1913 को अखाड़ा निर्वाणी ने ऋषिकुल ब्रह्मचारी आश्रम को दान में दी थी। तब से इस भूमि पर ऋषिकुल विद्यापीठ संस्था का ही कब्जा चला आ रहा है। इस संस्था का प्रशासन स्वयं जिलाधिकारी और सचिव सिटी मजिस्ट्रेट के अधीन होता है।श्याम सुंदर सिंघानिया नाम के व्यक्ति ने राजस्व परिषद में इस भूमि पर अपना दावा ठोका। सुनवाई के दौरान दाननामा (गिफ्ट डीड) पेश नहीं हो सका, जिसके चलते कोर्ट ने सिंघानिया के पक्ष में फैसला सुना दिया।
————————————
मिल गया दाननामा, दाखिल होगा रिव्यू….अब ऋषिकुल विद्यापीठ संस्था को ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज से वह दाननामा मिल गया है, जो उर्दू में लिखा था और जिसका हिंदी अनुवाद कराया गया है। जिलाधिकारी कर्मेद्र सिंह ने इस मामले में रिव्यू दाखिल करने का निर्णय लिया है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि यह भूमि शासकीय हित से जुड़ी है और कुछ लोगों द्वारा इसे हड़पने की कोशिश की जा रही है।
————————————
इतनी है जमीन…खसरा संख्या-27/1 – 0.3480 हेक्टेयर, खसरा संख्या-27/2 – 0.4870 हेक्टेयर। फिलहाल, जिलाधिकारी ने भूमि की बिक्री और खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी है। प्रशासन की ओर से इस पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है और जल्द ही न्यायिक प्रक्रिया के तहत उचित कदम उठाए जाएंगे।