पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: बहुचर्चित पुस्तकालय घोटाले में एक बार फिर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। हरिद्वार लाइब्रेरी घोटाले में कोर्ट में सच्चिदानंद डबराल ने एसएलपी दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मदन कौशिक, हरिद्वार नगर निगम समेत इस मामले से जुड़े सभी अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।याचिकाकर्ता ने कोर्ट में शिकायत दायर कर बताया कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक की विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए राशि आवंटित की गई थी। वहीं, पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट भी कर दिया गया। मगर आज तक किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर तत्कालीन विधायक मदन कौशिक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया है।
8 जून को उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सुनवाई की थी। . सुनवाई में सरकार की तरफ से कोर्ट में शपथ-पत्र पेश कर कहा गया कि सरकार ने सभी पुस्तकालय नगर निगम को दे दिए हैं और नगर निगम इनका संचालन कर रहा है। इसलिए जनहित याचिका का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है। शपथ-पत्र के आधार पर कोर्ट ने इस जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया था। तब मदन कौशिक को हाईकोर्ट के फैसले से बड़ी राहत मिली थी।
जिसके बाद इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। याचिका सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा तत्कालीन विधायक मदन कौशिक और इस मामले से जुड़े सभी अधिकारियों से जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि अभी तक पुस्तकालयों का संचालन नहीं हुआ है। जबकि, सरकार की तरफ से कहा गया था कि पुस्तकालयों का संचालन 2019 में हो गया था।
नोटिस जारी होने पर अब विधायक मदन कौशिक, ग्रामीण विकास विभाग, नगर निगम आदि को 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में पेश होना होगा। हरिद्वार के चर्चित घोटाले से जुड़ा यह मामला देश के सर्वोच्च अदालत पहुंचने से एक बार फिर हरिद्वार की राजनीति गर्म हो गई है। साथ ही लोगों को यह भी उम्मीद है कि अब इस मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय से कोई बड़ा फैसला भी आ सकता है। इस मामले में पूर्व में हरिद्वार के सामाजिक कार्यकर्ता व पूर्व सभासद दिनेश चंद्र जोशी की ओर से भी हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिस पर विभाग के एक जेल पर कार्यवाही नहीं हो चुकी है। वहीं, इस मामले को लेकर लोकल स्तर पर भी राजनीतिक दांव पर आजमाते हुए मामला रफा-दफा करने का प्रयास किया गया कुछ दिन पूर्व उत्तरी हरिद्वार के एक आश्रम में हुई गुप्त मीटिंग भी चर्चाओं में रही है। लेकिन जद्दोजहद काम नहीं आई और आखिरकार मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा।