पंच👊नामा-ब्यूरो
सुल्तान: गढ़वाल हो या कुमाऊं, जिसकी चलती है, उसकी क्या गलती है, वैसे गलती उसकी भी नहीं, जिसकी नहीं चलती है। अब इसे किस्मत कहें या चमत्कार, कई सारे दारोगा बे-कार इंतज़ार ही करते रह गए और बगल के जिले से आमद कराने वाले ख़ास दारोगा जी को अगले ही दिन थाने का प्रभार मिल गया।
वैसे तो दारोगा जी के आने की चर्चाएं जिले के पुलिसकर्मियों में काफी पहले से जिले में बनी हुई थी। यह भी तय था कि आते ही सीधे कुर्सी पर बैठना है। कुर्सियों की ऊंचाई भी नाप ली गई थी। बस देखना यह बाकी था कि ऐनवक्त पर लैंडिंग किस थाने में होती है।
चर्चाओं में तो मलाईदार थाने की कुर्सी भी थी। लेकिन हरफनमौला इंस्पेक्टर साहब की किस्मत दूसरी बार फिर साथ दे गई। वैसे नए दारोगा जी के आने से भले ही कई दावेदारों को झटका लगा है, क्योंकि उन्हें कुछ और दिन बे-कार बैठना होगा, लेकिन अंदर की बात यह है कि कई अफसर “अंदर ही अंदर खुश बताए जा रहे हैं। जिले में पहले से कई कला-कार हैं, तो कई कद्रदान भी हैं
कईयों की खुशियां तो आ-कार भी लेने लगी, कुछ को सपने सा-कार होने की पूरी उम्मीद है। आगे-आगे देखिए होता है क्या। वहीं,”चट आमद, पट चार्ज की रस्म जिले में नई नहीं है। यह परंपरा अक्सर निभाई जाती रही है। इससे मिलती-जुलती खबर यह भी है कि अगल-बगल के जिलों से कई धुरंधर व कला-कार पैराशूट से उड़ान भरने के लिए तैयार बैठे हैं।
बस दिक्कत यह है कि मौसम साफ ना होने के कारण वह उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। रोज़ एक-एक दिन काटते हुए उनकी निगाहें लगातार मौसम और हवा का रुख भांपने में लगी हुई है। जैसे ही कोहरा छंटेगा, तुरन्त बादलों को चीरते हुए आमद होगी। फिर कुर्सियां हिलेंगी, नए चेहरे मुस्कुराएंगे, पुराने वाले दर्द भरे गीत गाएंगे। तब तक आप भी इंतज़ार करिए, फिलहाल नमस🙏कार…