विधायक रवि बहादुर का पलटवार, संतों से पूछा अंकिता भंडारी और देश की पहलवान बेटियों के लिए कब उठाएंगे आवाज..
लगाया आरोप, राजनीतिक फायदे के लिए संतों का कंधा इस्तेमाल कर रही सरकार, संतो को सम्मान के साथ राजनीति से बचने की दी नसीहत..

पंच👊नामा-ब्यूरो
विकास कुमार, हरिद्वार: ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर ने समाधि और मजार प्रकरण को गलत तरीके से तूल देने का आरोप लगाते हुए पलटवार किया है।

विधायक रवि बहादुर ने सवाल उठाने वाले संतों से पूछा है कि क्या मजार और समाधि का सम्बंध सूफी-संतों से नहीं है। विधायक ने कहा कि हमारे लिए सभी धर्मों के महापुरुष सम्माननीय हैं। हमने अपनी समानता की भावना के अनुरूप मजार और समाधि को एक रूप में संबोधित किया।

विधायक ने कुछ संतो पर सरकार के इशारे पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए यह नसीहत भी दी कि उन्हें अगर कोई मुद्दा ही उठाना है तो दिल्ली में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के उत्पीड़न के खिलाफ धरना दे रहे देश की बेटियों के आंदोलन को समर्थन दें।

गौरतलब है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी और अवधूत मंडल आश्रम के महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश समेत कई संतों ने ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर पर मजार को समाधि बताने का आरोप लगाते हुए माफी मांगने की मांग की थी।

इस मामले में मीडिया को जारी बयान में ज्वालापुर विधायक रवि बहादुर ने कहा कि उन्होंने कोई गलत बयान ही नहीं दिया है। ऐसे में माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता है। विधायक रवि बहादुर ने कबीर दास का उदाहरण देते हुए कहा कि उनको हर धर्म समुदाय के लोग सम्मान देते हैं।

हिंदू कबीर दास की समाधि और मुस्लिम उसे मजार के रूप में पवित्र मानते हैं। कहा कि उनके बयान को गलत रूप से पेश करते हुए उसके मनमाफिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। असल मुद्दे को दबाने के लिए सरकार संतों के कंधों का इस्तेमाल करते हुए आमजन को गुमराह करने का काम कर रही है।

लेकिन संत समाज का दायित्व है कि वह राजनीति से दूर रहें और अगर उन्हें जनहित के मुद्दों पर आवाज ही उठानी है तो देश की बेटियों के मान सम्मान पर अभी तक चुप क्यों हैं। विधायक रवि बहादुर ने उनके बयान पर सवाल उठाने वाले संतों से पूछा है कि वह विदेश की धरती से ही मेडल लाकर देश का सम्मान बढ़ाने वाली बेटियों के समर्थन में कब बयान जारी करेंगे और उन्हें इंसाफ दिलाने की पैरवी कब करेंगे।

साथ ही यह भी पूछा है कि उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी के लिए इंसाफ की मांग करना क्या संतों की जिम्मेदारी नहीं है। रवि बहादुर ने कहा कि वे पूरे संत समाज का हृदय से सम्मान करते हैं।

इसी तरह सूफी व अन्य धर्म के महापुरुषों के लिए भी उनके मन में उतना ही सम्मान है, इसलिए संतों से निवेदन है कि सरकार के इशारे पर बयान बाजी करने से बचें। क्या इस प्रदेश में किसानो, बेरोजगारों, युवाओं की बात नहीं होगी। किसानों का चीनी मिल बकाया भुगतान नहीं कर रही, उस पर भी संतों को आवाज उठानी चाहिए।