“इमाम हुसैन की शहादत की याद में निकला मातमी जुलूस, ताजियों और तलवारबाज़ी से कर्बला को किया गया याद, (देखें वीडियो)..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: कर्बला की सरज़मीन पर हुए अन्याय और बलिदान की याद में शनिवार को ज्वालापुर में अंजुमन फ़रोग़-ए-अज़ा की जानिब से शिया समुदाय ने मातमी जुलूस निकाला। जुलूस इमामबाड़ा अहबाब नगर से शुरू होकर हैदर नक़वी के निवास पर जाकर समाप्त हुआ।
इससे पहले इमामबाड़े में मजलिस का आयोजन हुआ, जिसे मौलाना इक़्तेदार नक़वी ने पढ़ा। मौलाना ने कहा कि जब इमाम हुसैन हज को उमरे में बदलकर निकले, तो 2 मोहर्रम को करबला पहुंचे, जहां यज़ीद की सेना ने उन्हें घेर लिया। 10 मोहर्रम 61 हिजरी को उन्हें उनके परिवार और साथियों समेत भूखा-प्यासा शहीद कर दिया गया।
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छह महीने के मासूम अली असग़र को भी नहीं बख्शा गया….मौलाना ने बताया कि जब इमाम हुसैन अपने छह माह के मासूम बेटे अली असग़र को लेकर पानी मांगने गए, तो यज़ीदी सिपाही हुरमला ने बच्चे के गले में तीर मार दिया। अली असग़र कर्बला के सबसे छोटे शहीद बने।
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हाथों और जंजीरों से किया मातम….मजलिस के बाद श्रद्धालुओं ने करबला की याद में हाथ और जंजीरों से मातम किया। इमामबाड़े से जुलूस निकलते समय “या हुसैन”, “हुसैनियत ज़िंदा है” जैसे नारों से वातावरण गूंज उठा। जुलूस का समापन हैदर नक़वी के निवास पर हुआ।
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दूसरी तरफ सुन्नी समुदाय ने निकाले ताजिए, दिखाए कर्बला के जांबाज़ी के दांव…..उधर, सुन्नी समुदाय के लोगों ने भी हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ताजिए निकाले। युवाओं ने अखाड़े में तलवारबाज़ी और लाठी के दांव-पेंच दिखाकर कर्बला की जंग को जीवंत किया।
लोगों ने ताजियों को श्रद्धापूर्वक देखा और कर्बला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश किया।
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मातमी जुलूस में बड़ी संख्या में अज़ादार शामिल रहे…..मातमी जुलूस में सज्जाद असग़र नक़वी, फिरोज़ जैदी, एहतेशाम अब्बास, ज़हूर हसन, जाफ़र हुसैन, बिलाल रज़ा, हादी हसन, अस्करी, अली रज़ा, इक़बाल, फरहान, अंसार हुसैन, अनवार हुसैन, मोहम्मद ज़मा, दिलशाद नक़वी, ऐजाज़ नक़वी, मोहम्मद मुज्तबा, मोहम्मद शहज़ाद, आशु, रविश नक़वी, हुसैन हैदर, बिलाल नक़वी, काज़िम, ग़ाज़ी और बासित समेत बड़ी संख्या में अज़ादार शामिल रहे।