हरिद्वार

गंगा में प्रवाहित हुई मुलायम सिंह यादव की अस्थियां, अखिलेश-डिंपल की छलकी आंखें..

यूपी व उत्तराखंड के सपा कार्यकर्ताओं ने नमामि गंगे घाट पर अपने प्रिय "नेताजी को दी अंतिम विदाई..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री रहे धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव की अस्थियां सोमवार को विधि विधान से गंगा में विसर्जित कर दी गई। उनके बेटे व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूजा अर्चना के बाद मुलायम सिंह यादव की अस्थियां नमामि गंगे घाट पर गंगा में प्रवाहित की। इस दौरान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से बड़ी संख्या में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और मुलायम सिंह यादव के प्रशंसकों ने नमामि गंगे घाट पर पहुंचकर अपने प्रिय “नेताजी” को नम आंखों से अंतिम विदाई दी। इस दौरान मुलायम सिंह यादव के भाई डॉक्टर रामगोपाल यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद और कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना समय उत्तराखंड के कई वरिष्ठ राजनीतिज्ञ भी श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे।जानकारी के मुताबिक़ नेता जी मुलायम सिंह यादव की अस्थियों को आज हरिद्वार के गंगा घाट पर प्रवाहित करने के लिए मुलायम सिंह के बेटे और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने परिवार के सदस्यों के साथ सैफई हवाई पट्टी से निजी विमान से देहरादून के जॉली ग्रांट पहुँचे जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पर उतरने के बाद अखिलेश यादव परिवार के सदस्यों के साथ हरिद्वार के नमामि गंगे घाट पहुंचें, जहां उन्होंने अपने पिता मुलायम सिंह यादव की अस्थियों को विसर्जित किया। इस मौके पर उत्तरप्रदेश से लेकर उत्तराखंड तक से सपा कार्यकर्ताओं का हुजूम लगा रहा। सभी ने नम आंखों के साथ अपने नेता जी को अंतिम विदाई दी।

फाइल फोटो

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मुलायम ने देश के शहीदों के लिए किया बड़ा काम….
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के 3 बार मुख्यमंत्री रहे, इसके साथ ही 8 बार विधायक और 7 बार सांसद बने. देश उन्हें केवल समाजवादी पार्टी के संस्थापक के तौर पर नहीं बल्कि देश के पूर्व रक्षा मंत्री के तौर पर भी हमेशा याद करेगा। साल 1996 से 1998 तक वह देश के रक्षा मंत्री रहे. और इस दौरान उन्होंने देश के शहीद जवानों के लिए एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया जो आज हर एक शहीद जवान के परिवार के लिए सुकून देने वाला है. 1996 में मुलायम सिंह यादव 11वीं लोकसभा के लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए और उसी समय उन्हें देश का रक्षा मंत्री बनाया गया. और अपने उस कार्यकाल में उन्होंने देश के शहीद जवानों के लिए एक बड़ा और अहम फैसला लिया जो आज मानवता के लिए एक नजीर है।
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फाइल फोटो

मुलायम के फैसले से पहले क्या होता था….?
देश की सरहदों की रक्षा करते हुए यदि आज कोई जवान शहीद हो जाता है तो उसका पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ उनके गांव के परिजनों के बीच पहुंचाया जाता है भारत सरकार और सेनाओं की ओर से यह सुनिश्चित किया जाता है. देश के लिए जान गवाने वाले शहीद इस सम्मान में किसी तरीके की कोई कमी ना रहे इसके लिए सभी इंतजाम किए जाते हैं. लेकिन हम आपको बता दे कि साल 1996 से पहले यदि जवान शहीद होता था तो उसका पार्थिव शरीर को उसके गांव तक या परिजनों को नहीं सौंपा जाता था, बल्कि सीमा पर ही जवान का अंतिम संस्कार कर दिया जाता था, और जवान की टोपी, वर्दी और अन्य सामान परिजनों को सम्मान के साथ दिया जाता था. लेकिन समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के उस समय रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने यह बड़ा फैसला लिया और साल 1996 से देश में शहीद होने वाले हर एक जवान का पार्थिव शरीर उनके परिजनों को सौंपा जाने लगा और अब पूरे राजकीय सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया जाता है. 1 जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव देश के रक्षा मंत्री रहे और उन्होंने कानून बनाया कि कोई भी जवान शहीद होता है तो उसका पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ उसके घर परिजनों के बीच घर पहुंचाया जाएगा. जवान का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा और उस दौरान उस जिले के एसपी और डीएम शहीद जवान के घर जाएंगे. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार कराया जाएगा. रक्षा मंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव के इस फैसले के बाद से आज भी यह नियम अपनाया जाता है।

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