चंदन वाले मजार के मुतवल्ली ने हाईकोर्ट से वापस ली याचिका, बना चर्चा का विषय..
पिछले दिनों आर्यनगर क्षेत्र से प्रशासन ने हटवाया था मजार, मुतवल्ली ने पुनर्निर्माण को दाखिल की थी याचिका..

पंच👊नामा-ब्यूरो
विकास कुमार, हरिद्वार: ज्वालापुर आर्यनगर क्षेत्र से हटवाए गए चंदन वाले मजार का दोबारा निर्माण करने को लेकर हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका को मजार के मुतवल्ली ने वापस ले लिया है।

ज्वालापुर पीठ बाजार निवासी मुतवल्ली जुल्फिकार अख्तर ने मजार टूटने से पहले नगर निगम के नोटिस को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। गैरहाजिर रहने पर कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।

इसके बाद मुवल्ली ने मजार के पुनर्निर्माण को लेकर दूसरी याचिका दाखिल की थी। इस याचिका को भी मंगलवार को बहस के दौरान मुतवल्ली के अधिवक्ता ने वापस ले लिया।

हालांकि, मुतवल्ली के अलावा कई अन्य लोग इस मुद्दे को न्यायालय से लेकर अन्य संवैधानिक व सरकारी संस्थाओं में लेकर जा चुके हैं और कुछ ले जाने की तैयारी में हैं।
———————————-
“सरकार बोली, पूरी तरह अवैध थी मजार……….

हाईकोर्ट में मंगलवार को न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ में पीठ बाजार ज्वालापुर हरिद्वार निवासी जुल्फिकार अख्तर की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया कि वह कनखल रोड आर्यनगर ज्वालापुर के समीप हजरत चंदन पीर बाबा मजार का मुतवल्ली है।

राज्य सरकार की ओर से सार्वजनिक मार्गों व पार्कों व अन्य स्थानों पर अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने, पुनर्स्थापित करने एवं नियमितीकरण नीति – 2016 का उल्लंघन कर मजार को ध्वस्त कर दिया गया। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि मजार पूरी तरह अवैध थी और सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय प्रक्रिया का अनुपालन कर उसे हटाने की कार्रवाई की गई।
——————————-
“24 घंटे पहले दिया गया था नोटिस…….

दो मई को जारी नोटिस में सहायक नगर आयुक्त हरिद्वार की ओर से जिला मजिस्ट्रेट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया था कि मजार में व्यावसायिक गतिविधियां की जा रही हैं। नगर निगम की भूमि पर अतिक्रमण कर मजार बनाई गई है, जिसे 24 घंटे में हटा लें। उसे नहीं हटाने पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी।

पिछले दिनों याचिकाकर्ता के अनुपस्थति रहने पर कोर्ट ने नोटिस को चुनौती देती याचिका को खारिज कर दिया था तो मजार के पुनर्निर्माण को लेकर दूसरी याचिका दायर की गई। मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने बताया कि बहस के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने याचिका को वापस ले लिया।