पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: ज्वालापुर के आस-पास देहात में जमीनों की खरीद फरोख्त और किरायेदारी के धंधे में जालसाजी करने वाले एक नटवरलाल षड्यंत्रकारी को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी। बुजुर्ग के कंधे पर रखकर चलाई गई नटवरलाल की बंदूक धुंआ छोड़ गई।
दरअसल, लालच देकर, बहला-फुसला कर नटवरलाल के कहने पर दर्ज कराए गए फर्जी मुकदमे में बुजुर्ग जिंदा के सारे आरोप मृत निकले। लिहाजा पुलिस ने जांच में दूध का दूध और पानी का पानी करते हुए फाइनल रिपोर्ट लगाकर सच्चाई को सामने ला दिया। जिससे एक बार फिर नटवरलाल के अरमान धरे के धरे रह गए।
बीते नवंबर 2023 में सराय गांव के नटवरलाल वजहुल कमर के खिलाफ ज्वालापुर कोतवाली में एक मुकदमा दर्ज कराया गया था। दरअसल, खुद को आधा प्रॉपर्टी डीलर और आधा वकील कहलाने नटवरलाल ने जमीन के लेनदेन में कई साल पहले बंद हो चुके एक फर्जी खाते का चेक देकर लाखों रुपए की धोखाधड़ी की थी।
पुलिस की जांच में आरोप साबित हुए और आरोपी के खिलाफ पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। इसके बाद से नटवरलाल बदला लेने के बहाने ढूंढता रहा और झाड़ फूंक, तंत्र-मंत्र करने वाले गांव के ही एक बुजुर्ग को लालच देकर बहला फुसला लिया। इसके बाद मुकदमा दर्ज करने वाले पीड़ितों पर ही नटवरलाल ने फर्जी मुकदमा कोर्ट को गुमराह कर दर्ज करा दिया।
शायद नटवरलाल को यह गुमान हो गया होगा कि उत्तराखंड पुलिस किसी पिछड़े हुए राज्य की भृष्ट पुलिस की तरह काम करती है। इसलिए उसने मुकदमे को अपनी तरीके से मोड़ने और उसे सही साबित करने के लिए भी पीछे तक के जोर लगाए, मक्खन पालिश कर अधिकारियों की जी हुजूरी करने वाले कुछ फर्जी लोगों का सहयोग भी लिया गया। लेकिन नटवरलाल अपनी तिकड़म नहीं बैठा पाया।
पहले मुकदमे में नटवरलाल के खिलाफ अच्छे खासे सुबूत हासिल करने वाली पुलिस को मुकदमे की सच्चाई जानने में ज्यादा वक्त नहीं लगा और पड़ताल में पूरा फर्जीवाड़ा निकाल कर सामने आ गया। यहां तक की जिस बुजुर्ग को चारपाई पर पड़ा हुआ अधमरा व्यक्ति बताया गया, वह भी बीड़ी पीकर टहलता हुआ कैमरे में नजर आ गया। यह सारी सच्चाई पुलिस की आंखों के सामने आने पर मुकदमे का नतीजा एफआर यानी फाइनल रिपोर्ट के रूप में निकला। नटवरलाल को यह भी शायद ही मालूम हो कि फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वालों पर भी कानूनी कार्रवाई होती है।
कुल मिलाकर नटवरलाल के झूठ पर सच का जोरदार तमाचा लगा और उसे फिर से मुंह की खानी पड़ी। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हो जाती है, फर्जी मुकदमा दर्ज कराने और षडयंत्र रचने वालों को घर तक छोड़कर आने की जिम्मेदारी समाज के कई लोगों की है। जिसको बखूबी अंजाम दिया जाएगा।