जायरीनों की जान पर भारी पड़ रही लापरवाही, हर महीने 10 मौत…
पंच👊नामा-पिरान कलियर: खुशियों की तलाश में आने वाले जायरीन गंगनहर घाट की बिगड़ी व्यवस्थाओं के चलते मातम साथ लेकर जा रहे है और जिम्मेदार अधिकारी हाथ पर हाथ रखकर तमाशबीन बने हुए है। आय दिन गंगनहर में डूबने वालो की संख्या बढ़ रही है लेकिन इस ओर न तो कोई जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहा है और न ही सम्बंधित अधिकारी, यही वजह है कि आय दिन गंगनहर में होने वाले हादसों की खबरे सामने आती रहती है। बिडम्बना ये है कि आज-तक गंगनहर घाट ना तो कोई सूचनाबोर्ड लगाया गया और ना ही जल पुलिस की तैनाती की गई, जबकि पिरान कलियर में आय दिन मेले जैसे हालात रहते है, जायरीनों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, बढ़ती गर्मी के चलते जायरीन राहत पाने के लिए गंगनहर का रुख भी कर रहे है लेकिन इन हादसों से सम्बंधित अधिकारी कोई सबक लेने को तैयार नही है।
दरगाह शरीफ में हाजिरी के लिए आने वाले जायरीनों की जान पर बिगड़ी व्यवस्थाएं भारी पड़ रही है। पिरान कलियर स्थित गंगनहर में आय दिन हादसों का शिकार जायरीन जान गवा रहे है और सम्बंधित विभाग कुम्भकर्णी नींद सोया है। गंगनहर घाट पर न तो सूचना बोर्ड लगा और ना ही जल पुलिस की तैनाती, साथ ही बचाओ के इंतेज़ाम तक नही है, जो हादसों का सबब बन रहे है। स्थानीय लोगो ने कई बार प्रशासन से गुहार तक लगाई लेकिन आजतक कोई कार्यवाही नही हो पाई। अब जब गर्मी का मौसम शुरू हो रहा है तो ऐसे में गंगनहर घाट पर जायरीनों की भीड़ लगना लाजिमी है, यदि व्यवस्थाएं दुरुस्त ना कि गई तो हादसों में इजाफा होगा।
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विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल……
विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल और विश्व प्रसिद्ध दरगाह होने के चलते देश-विदेश से लाखो जायरीन यहां आते है और दरगाह में हाजिरी पेश करते है, यही वजह है कि पिरान कलियर में हर दिन मेले जैसे हालात रहते है, लेकिन अगर यहां व्यवस्थाओं की बात करे तो ऊंठ के मुंह मे जीरा दिखाई पड़ती है।
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तेज़ बहाव भी है कारण…..
नई गंगनहर पर बने पुल निर्माण के दौरान पिलर (कुआ) स्ट्रेक्चर को नही हटाया गया जिसके चलते पुल और घाट के पास पानी का तेज़ बहाव है, हादसों का ये भी एक कारण बनता है।
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एक माह में औसतन 10 लोग गवा देते है जान…
साल में डूबने वालों का आंकड़ा निकाला जाए तो कम से कम 10 की संख्या पार हो जाती है। कुछ तो जायरीन ऐसे होते है जिन्हें डूबने वाले का शव तक भी नही मिल पाता, सबकुछ गवा कर जायरीन प्रबंधन व्यवस्था को कोसते हुए वापस लौट जाते है।