
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: जिला पंचायत के नए परिसीमन ने कई नेताओं के लिए सियासत की नई जमीन पैदा कर दी तो कईयों के अरमानों पर पानी फेर दिया। विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद पाला बदलने वाले एक नेताजी पूर्व कैबिनेट मंत्री के आशीर्वाद से अपने आप को जिला पंचायत सदस्य तय मानकर चल रहे थे। इतना ही नहीं, उन्होंने होर्डिंग-बैनर में खुद को भावी जिला पंचायत उम्मीदवार लिखकर जोर शोर से प्रचार भी शुरू कर दिया था। लेकिन यह क्या, परिसीमन में नेताजी का सारा गणित की बिगाड़ दिया। गणित की बात से याद आया कि पाला बदलकर पूर्व कैबिनेट मंत्री की जय जयकार करने के पीछे सिर्फ अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करना ही नेताजी का एकमात्र उद्देश्य नहीं था, सरकारी विभागों में सलाम-नमस्ते कर गुणा भाग करने की मंशा भी उन्हें यहां तक खींच लाई थी। मगर परिसीमन में इधर का क्षेत्र उधर और उधर का क्षेत्र इधर जुड़ने से जीत का फार्मूला ही बदल गया। नेताजी चतुर और स्याने हैं, इसलिए जानते और मानते हैं कि इस फार्मूले में ख़्वाब पूरा कर पाना उनके बस की बात नहीं है। इसलिए जिला पंचायत सदस्य बनने का लालच छोड़ चुपचाप नीचे की कुर्सी पर खिसक लिए। अब नेताजी खुद को भावी प्रधान उम्मीदवार प्रचारित कर रहे हैं। यह चर्चा भी जोरों पर हैं कि नेताजी धीरे से पलटी मार कर पुराने घर का दरवाजा खटखटाने की जुगत भी लगा रहे हैं। लेकिन रिस्पांस टाइम जीरो है और वापसी के दरवाजे बंद हैं। इसलिए नेताजी अंदर ही अंदर छटपटा रहे हैं। एक बड़ी पुरानी कहावत नेताजी पर फिट बैठती नजर आ रही है। ना इधर के रहे, ना उधर के रहे। ना खुदा ही मिला न विसाले सनम।