उत्तराखंड

कुख्यात-खाकी गठजोड़: करोड़ों की संपत्ति कब्जाने के लिए हत्या, धमकी, फायरिंग और फर्जीवाड़े का खेल..

उत्तराखंड एसटीएफ की जांच में बड़े खुलासे, 2014 से थी कुख्यात की नज़र, कई और चेहरों से नकाब उतारना बाकी..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: कुख्यात प्रवीण वाल्मीकि गैंग की जांच में एसटीएफ ने कई बड़े राज खोले हैं। करोड़ों की जमीन हड़पने के लिए गिरोह ने न केवल हत्या और धमकी का सहारा लिया बल्कि फर्जी दस्तावेज बनवाकर संपत्तियों की रजिस्ट्री कराई और उन्हें बेचकर मोटा मुनाफा कमाया। चौंकाने वाली बात यह रही कि इस खेल में पुलिस विभाग के कुछ सिपाही भी शामिल पाए गए।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि सुनेहरा गांव निवासी श्याम बिहारी की 2014 में मौत के बाद उसकी जमीन पर गैंग की नजर थी। 2018 में जमीन कब्जाने की नीयत से श्याम बिहारी के छोटे भाई कृष्ण गोपाल की हत्या कर दी गई। इसके बाद उसकी पत्नी रेखा और परिवार को लगातार धमकाया गया। 2019 में गैंग ने रेखा के भाई सुभाष पर गोली चलवाई, जिसके बाद डरे-सहमे परिवार ने रुड़की छोड़ दिया।
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फर्जी रेखा बनाकर की करोड़ों की रजिस्ट्री…..परिवार को खदेड़ने के बाद गैंग ने फर्जी महिला तैयार कर उसे रेखा बताकर और दूसरी महिला को कृष्ण गोपाल की पत्नी बनाकर पेश किया। इनसे पॉवर ऑफ अटॉर्नी तैयार कराई गई और उसी आधार पर रजिस्ट्री कर दी गई। मनीष बॉलर और उसका साथी पंकज अष्टवाल इन संपत्तियों को आगे बेचते गए। करोड़ों की कीमत की जमीन कौड़ियों में बेचकर पैसा सीधे गिरोह तक पहुंचा।
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सिपाहियों की भूमिका से खुली पोल…..जांच में सामने आया कि दो सिपाही सीधे इस खेल में लगे थे। इनके कॉल रिकार्ड और जेल में मुलाकातों से लेकर पीड़ित परिवार को धमकाने के सबूत हाथ लगे। अप्रैल में रुड़की कोर्ट परिसर में प्रवीण वाल्मीकि से पीड़ित परिवार को मिलवाना और मार्च में अस्पताल में रेखा के बेटे सूर्यकांत को धमकाना इसकी बानगी है। एसटीएफ की कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि प्रवीण वाल्मीकि गैंग सिर्फ अपराधियों तक सीमित नहीं था, बल्कि जमीन कब्जाने और बेचने के लिए उसने खाकी को भी अपने जाल में फंसा लिया था। अब एसटीएफ इस पूरे नेटवर्क की परतें खोलने में जुटी है।

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