अपराधहरिद्वार

नए साल पर पुलिस ने गुंडा तत्वों, जरायम पेशेवरों को दिया तोहफा, 14 गैंगेस्टर, 47 पर गुंडा एक्ट में कार्रवाई..

कुख्यातों की कमर तोड़ने के लिए पुलिस कप्तान प्रमेन्द्र डोबाल के निर्देश पर हुई कार्रवाई, भेजे जाएंगे जेल, या छोड़ना होगा जिला..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार : नए साल पर हरिद्वार पुलिस ने जरायम पेशेवरों और गुंडा तत्वों को नायाब कानूनी तोहफा दिया है।

फाइल फोटो: प्रमेन्द्र डोबाल (पुलिस कप्तान हरिद्वार)

साल 2024 में जिले में अपराध व कानून व्यवस्था और ज्यादा चुस्त दुरुस्त करने के लिए पुलिस कप्तान प्रमेंद्र डोबाल के निर्देश पर अभियान चलाकर 45 आरोपियों पर गैंगेस्टर के 14 मुकदमें दर्ज किए गए। जबकि 47 पर गुंडा एक्ट में कार्रवाई की है।

फाइल फोटो

इनको जल्द ही जेल भेजा जाएगा। कुछ को जिला बदर करते हुए हरिद्वार से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। नए साल के पहले दिन पुलिस की इस कार्रवाई से लूट, चोरी, नशा तस्करी और गौकशी करने वालों में हड़कंप मचा हुआ है।

फाइल फोटो

हरिद्वार जनपद में सक्रिय विभिन्न गैंग के चिन्हिकरण व उनके विरुद्ध कार्यवाही के संबंध में दिए गए एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल के कड़े दिशा-निर्देश पर कोतवाली नगर हरिद्वार में गैंग लीडर दीपक उर्फ गंजा (लूट/डकैती) कोतवाली ज्वालापुर में गैंग लीडर राव जकीउल्लाह (वाहन चोर) कोतवाली रानीपुर से गैंग लीडर विशाल उर्फ फुकरा (चोरी/नकबजनी) कोतवाली रुड़की से गैंग लीडर शहजाद (नकबजनी) कोतवाली गंगनहर से गैंग लीडर अमन (वाहन चोर) कोतवाली लक्सर से गैंग लीडर शाह आलम उर्फ भूरा (नशा तस्करी/चोरी) कोतवाली मंगलौर से गैंग लीडर विनीत (लूट) थाना भगवानपुर से गैंग लीडर अभिषेक (वाहन चोरी) थाना श्यामपुर से गैंग लीडर हुकुम सिंह (चोरी) थाना बहादराबाद से गैंग लीडर कुर्बान (लूट/चोरी) थाना कनखल से गैंग लीडर कुशवाह (अवैध कब्जा) थाना सिड़कुल से गैंग लीडर विशाल (चोरी) थाना झबरेड़ा से गैंग लीडर विशाल (वाहन चोरी) व थाना बुग्गावाला से गैंग लीडर जाविद (पशु चोरी) पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही की गई। इस कार्यवाही के दायरे में कुल 14 गैंगों के 45 अभियुक्त आए हैं।
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गुंडा एक्ट में कार्रवाई…..

फाइल फोटो

गुंडा एक्ट के तहत हरिद्वार जनपद में कुल 47 आदतन अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। इस कार्यवाही में कोतवाली नगर हरिद्वार से 05 शराब तस्कर, कोतवाली ज्वालापुर से 02 शराब माफिया/सटोरी, कोतवाली रानीपुर से 02 शराब तस्कर, कोतवाली रुड़की से 03 चोर/शराब तस्कर, कोतवाली लक्सर से 05 नशा तस्कर, कोतवाली मंगलौर से 02 शराब तस्कर, थाना कनखल से 03 शराब तस्कर, थाना सिड़कुल से 02 वाहन चोर, थाना बहादराबाद से 05 वाहन चोर, थाना कलियर से 04 पशु तस्कर, थाना पथरी से 04 शराब तस्कर, थाना खानपुर से 02 शराब तस्कर, थाना झबरेड़ा से मारपीट के आदतन 02, थाना भगवानपुर से 05 शराब तस्कर/वाहन चोर व थाना बुग्गावाला से 01 चोर शामिल हैं।
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कौन होता है गैंगस्टर…..

फाइल फोटो

समाज में ऐसे कई अपराधी हैं जो संगठित होकर अपराध को अंजाम देते हैं। अपराध करने का इनका मुख्य मकसद समाज में दहशत फैलाते हुए अपनी आजीविका चलाना है। जैसे अन्य लोग काम कर अपनी जरूरतें पूरी करते हैं, उसी तरह यह लोग समूह में अपराध कर अपना जीवनयापन करते हैं। ऐसे में इस गिरोह के प्रत्येक व्यक्ति को गैंगस्टर कहा जाता है। पुलिस द्वारा तैयार गैंगचार्ट के हिसाब से ही जिले के डीएम और एसएसपी आरोपी को गैंगस्टर घोषित करते हैं।
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क्या है गैंगस्टर एक्ट…..

फाइल फोटो

गैंगस्टर एक्ट का प्रावधान इसलिए लाया गया कि जो लोग असल में अपराधी हैं वह गैंग चलाकर समाज में दहशत फैलाते हैं, ऐसे लोगों के विरुद्ध मजबूत कानूनी कार्रवाई की जा सके। दरअसल कई बार अपराधी व्यक्तिगत तौर पर अपराध करने के बजाय एक गिरोह बनाकर अपराध करते हैं जैसे हत्या, लूट, डकैती, रंगदारी आदि ऐसी घटनाओं को मिलकर अंजाम देते हैं। ऐसे में इन्हें रोकने और लंबे समय तक जेल में रखने के लिए साल 1986 में गैंगस्टर एक्ट बनाया गया।
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फाइल फोटो

अपराधियों के लिए ”काल” गैंगस्टर एक्ट…
इस एक्ट में दोषी अपराधी को न्यूनतम दो साल और अधिकतम दस साल सजा दिए जाने का प्राविधान है। गैंग बनाकर अर्जित की गई चल एवं अचल संपत्तियों को कुर्क करने का अधिकार जिलाधिकारी को दिया गया है।
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जिलाबदर की कार्रवाई…..

फाइल फोटो

आदतन अपराधियों को एक निश्चित क्षेत्र से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए गुंडा एक्ट बनाया गया है। इस कानून के तहत जनपद के डीएम को गुंडा एक्ट के तहत आदतन अपराधी को जिला बदर करने का अधिकार दिया गया है। थाने से प्रेषित रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी निश्चित अवधि के लिए नामित अभियुक्त को जिलाबदर करने का आदेश जारी किया जाता है जिस पर कार्रवाई करते हुए संबंधित थाना पुलिस अभियुक्त को जिले से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। आम भाषा में इसको जिलाबदर की कार्रवाई कहते हैं। नियत अवधि के दौरान जनपद में मौजूदगी मिलने पर अभियुक्त के खिलाफ अलग से मुकदमा दर्ज किया जाता है जो किसी भी अभियुक्त के लिए घातक साबित होता है।

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