गन्ना कोल्हुओं से निकल रही जहरीली गैस, ईंधन की जगह जलाई जा रही रबड़, प्लास्टिक और कूड़ा..

पंच👊नामा
रुड़की: जिले में बड़े पैमाने पर कोल्हुओं में गुड बनाने का काम शुरू हो चुका है। इन कोल्हुओं में गन्ने के रस को पकाने के लिए ईंधन की जगह प्लास्टिक और रबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो वातावरण को दूषित कर रहा है और लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है। हालांकि कोल्हू स्वामियों के पास गन्ने की पिराई के बाद निकलने वाली खोई ईंधन का बेहतर विकल्प है, लेकिन उसे सुखाने के झंझट से बचने के लिए, और महंगे दामों में बेचने के लिए प्लास्टिक और रबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। कोल्हुओं से निकलने वाला काला धुंआ आसपास के लोगों को बीमार बना रहा है, और जिम्मेदार अधिकारी इससे सीख लेने को तैयार नहीं हैं। अगर सीख ली होती, तो इन कोल्हुओं पर अब तक कार्रवाई हो चुकी होती।
रुड़की क्षेत्र के इकबालपुर, लंढौरा, झबरेड़ा, भारापुर आदि जगहों पर सैकड़ो गन्ना कोल्हू संचालित हो रहे है। इन कोल्हुओं पर ईंधन की जगह प्लास्टिक, रबड़, कूड़ा कचरा आदि का इस्तेमाल वातावरण को दूषित कर रहा है। आसपास के लोग इस जहरीली गैस से परेशान है और संबंधित अधिकारियों की तरफ आस भरी निगाहों से देख रहे है। वही स्थानीय प्रदूषण बोर्ड इस गम्भीर समस्या से अनजान बनने का ढोंग रच रहा है। जो लोगो की सेहत से खुल्लमखुल्ला खिलवाड़ है।
वही नियमों को ताख पर तखकर गन्ना कोल्हू खुलेआम प्रशासन को ठेंगा दिखा रहे है। सूत्र बताते है कि गन्ने की खोई जिसे ईंधन में इस्तेमाल किया जाना चाहिए उसे मोटे मुनाफे के चक्कर मे कुछ कथित ठेकेदार कोल्हुओं पर रबड़, प्लास्टिक कूड़ा करकट का इस्तेमाल करा रहे है।
रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अभिनव शाह का कहना है कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है, एक टीम जांच के लिए भेजी जाएगी, जिसके बाद अग्रिम कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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एनजीटी ने प्लास्टिक और रबर जलाने पर लगाया है प्रतिबंध…..
एनजीटी की ओर से वर्ष 2013 में प्लास्टिक, रबर या ऐसे सामान को खुले में अनियमित रूप से जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। एनजीटी की इस रोक के बाद भी कस्बो और देहातो में संचालित होने वाले गन्ना कोल्हुओं पर खुलेआम रबड़, प्लास्टिक और कूड़े को जलाया जा रहा है, जो अधिकारियों के दावों की सच्चाई बया कर रहा है।
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बीमारियों का कारण बन रहा धुंआ…..
प्लास्टिक और रबर जलाने से निकलने वाला धुंआ जानलेवा बीमारियों की वजह बन रहा है। प्लास्टिक एवं रबर जलाने पर डाईऑक्सिंस एवं फ्यूरॉन्स रसायन, कार्बन कण, बैंजीन, आर्सेनिक, क्रोमियम आदि पर्यावरण में फैल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इनसे मानव और अन्य जीवों के डीएनए खराब हो रहे हैं। यह धुंआ कैंसर, मानसिक रोग, प्रजनन क्षमता क्षीण, अस्थमा और सांस की अन्य बीमारियों का कारण बन रहा है।