मासूम को मां से जुदा करने में एक पुरूष-छह महिलाएं शामिल, एक भी महिला में नहीं जागी ममता..
जिगर के टुकड़े को देखते ही लिपटकर रोने लगी मां, ढोल नगाड़ों पर लगे पुलिस-प्रशासन ज़िंदाबाद के नारे, (देखें एक्सक्लूसिव वीडियो)
पंच👊नामा-ब्यूरो
सुल्तान, हरिद्वार: कोई अंजान बच्चा रोने या परेशान होने पर भी दूसरी महिला के मन में ममता हिलोरे मारने लगती है। इसीलिए महिला को ममता का घर कहा जाता है। किसी महिला से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह एक मासूम को उसकी मां से जुदा करने का पाप कर डाले। महिला अगर खुद बच्चों की मां व नाती-पोतों की दादी-नानी हो, तो यह सोचना भी नामुमकिन है। लेकिन ज्वालापुर में 8 माह के मासूम का अपहरण कर ढाई लाख रुपये में सौदा करने की घटना में केवल एक पुरुष, बाकी छह महिलाएं शामिल रही हैं।
आरोपियों की लाइन में छह महिलाओं को खड़ी देख हर कोई हैरान है। सबके मन में यही सवाल है कि क्या एक भी महिला की ममता नहीं जागी। किसी एक भी महिला का दिल पसीज गया होता शायद यह गुनाह न होता। वहीं, 24 घन्टे से जुदा मासूम को देखते ही उसकी मां की आंखों से खुशी के आंसू छलक उठे और पिता ने हाथ जोड़कर पुलिस अधिकारियों का आभार जताया।
बच्चे के घर पहुंचते ही ढोल नगाड़ों से स्वागत हुआ और पुलिस-प्रशासन जिंदाबाद के नारे भी जमकर लगे।
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आए दिन पकड़ी जाती हैं महिलाएं…..
शराब तस्करी से लेकर धोखाधड़ी, जरायम पेशे व अनैतिक कार्यों में पुलिस आए दिन महिलाओं को गिरफ्तार करती है। मन में लालच होना मानवीय स्वभाव है। लेकिन लालच में कोई इस कदर अंधा हो जाए कि चंद रुपयों की खातिर पड़ोसी के दूधमुंहे बच्चे को उठाकर किसी दूसरे के हाथ में सौंप दे। खासतौर पर मातृत्व का गुण रखने वाली महिला से ऐसी उम्मीद करना बेमानी है। दुर्भाग्य है कि ज्वालापुर की अविश्वसनीय घटना में एक दो नहीं, बल्कि छह महिलाओं का हाथ सामने आया। एक मासूम को उठाकर दूसरे को सौंपने में किसी भी महिला का दिल नहीं पसीजा।
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व्यापारी और पत्नी का दावा अलग………..
हालांकि, निसंतान व्यापारी और उसकी पत्नी दावा कर रहे हैं कि उन्होंने आशा कार्यकर्ता रूबी को बच्चा गोद दिलाने के लिए कहा था। रूबी ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा से यही बात की। लेकिन आशा ने सुषमा से रुपयों की बात की तो उसकी आंखों में रुपयों की चमक दौड़ गई। फिर उसे पाप-पुण्य का फर्क नजर नहीं आया और यह भी भूल गई कि पकड़े जाने पर अंजाम क्या होगा। पुलिस की पड़ताल में सामने आया है कि अपहरण में सुषमा, उसकी समधन अनिता और अनिता की मुंह बोली बेटी किरन का रोल अहम रहा है।
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दो लाख मिलने पर होना था बंटवारा………….
बच्चा मिलते ही संजय ने 50 हजार रुपये सुषमा के हाथ में थमा दिये, बाकी रकम वह जल्द देने वाला था। सीओ ज्वालापुर निहारिका सेमवाल ने बताया कि बाकी दो लाख रुपये मिलने के बाद ही रकम का आपस में बंटवारा होना था।