हरिद्वार

“सूफ़ी संतों की नगरी पिरान कलियर — अपने आप में समेटे आस्था, रवायतों और साधु-संतों की मेज़बानी का अनोखा इतिहास..

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पंच👊नामा
पिरान कलियर: हरिद्वार की पावन धरती पर बसी पिरान कलियर की पहचान उसकी रूहानी शान — दरगाह हज़रत मख़दूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक (रह.) से है। यह दरगाह न सिर्फ़ हिंदुस्तान बल्कि दुनिया भर में बसे अकीदतमंदों के लिए आस्था और मोहब्बत का मरकज़ है।सदियों से यहां आने वाले ज़ायरीनों के दिलों में साबिर पाक की दरगाह रूहानी सुकून और मोहब्बत का पैग़ाम भरती आ रही है। यही वजह है कि पिरान कलियर को सूफ़ी संतों की नगरी और गंगा-जमुनी तहज़ीब का नायाब प्रतीक कहा जाता है।
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सूफ़ियाना रवायतें और भाईचारे की मिसाल……पिरान कलियर सिर्फ़ मज़हबी मरकज़ नहीं, बल्कि इंसानियत और भाईचारे का वह संगम है जिसने हर दौर में मोहब्बत और अमन का पैग़ाम दिया। यहां हर मज़हब, हर तब़के और हर अ़कीदे के लोग बराबरी की आस्था के साथ हाज़िरी देते हैं।पुराने ज़माने में जब रुड़की से हरिद्वार जाने का इकलौता रास्ता पिरान कलियर होकर गुज़रता था, तब महाकुंभ के दौरान साधु-संतों की टोलियां यहीं से गुज़रतीं। उस वक़्त दरगाह के सज्जादानशीन की ओर से उनके लिए लंगर, टेंट, तंबू और यहां तक कि हाथियों, ऊंटों और घोड़ों के चारे तक का इंतज़ाम किया जाता था। यही परंपरा इसे आज भी सूफ़ियाना ख़ुलूस और मेहमाननवाज़ी की मिसाल बनाती है।
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गंगा और दरगाह का पवित्र संगम….पिरान कलियर की ख़ास पहचान सिर्फ़ दरगाह तक सीमित नहीं, बल्कि यहां से बहती गंगा से भी है। ज़ायरीन दरगाह में हाज़िरी देने के बाद गंगा स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। रूहानी ताजगी और आत्मिक सुकून पाने के लिए गंगा और दरगाह का यह संगम हर अकीदतमंद को ख़ास अनुभव कराता है।
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पुराने दौर बनाम आज का दौर…..वो जमाना और था जब हरिद्वार की ओर जाने वाले राही और साधु-संत पिरान कलियर से गुज़रना अपनी मंज़िल का हिस्सा मानते थे। राहगीरों की चहल-पहल, सूफ़ियाना कव्वालियों की गूंज और संतों के काफ़िलों का नज़ारा इस सरज़मीं को और भी रूहानी बना देता था।आज भले ही हाइवे और आधुनिक सड़कें इस रास्ते को पीछे छोड़ चुकी हों, लेकिन पिरान कलियर का जादू और इसकी रूहानी फिज़ा आज भी वही है। अब यहां आने वाले लोग सिर्फ़ राहगीर नहीं, बल्कि दिल से खिंचे हुए अकीदतमंद होते हैं, जो दरगाह की हाज़िरी और गंगा स्नान दोनों को अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी कमाई मानते हैं।
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आज भी ज़िंदा है मोहब्बत की दास्तान….पिरान कलियर की पहचान उसकी दरगाह है, उसकी रवायतें हैं और वह मोहब्बत है जो हर ज़ायरीन के दिल में उतर जाती है। यही वजह है कि यह सरज़मीं आज भी रूहानी नूर और मज़हबी हमआहंगी का अनमोल पैग़ाम पूरी दुनिया तक पहुंचा रही है।

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