“सर सैयद दिवस पर शिक्षा और समाज सेवा को बढ़ाने का संकल्प — डॉ. अरशद इक़बाल बोले, “सर सैयद का मिशन जिंदा रखना हम सबकी जिम्मेदारी..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार/मुजफ्फरनगर। महान शिक्षाविद और समाज सुधारक सर सैयद अहमद ख़ान की जयंती पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर देशभर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में उनके योगदान को याद किया गया। मुजफ्फरनगर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में मेट्रो अस्पताल हरिद्वार के सीईओ डॉ. अरशद इक़बाल बतौर मेहमान-ए-ख़ुसूसी शामिल हुए, वहीं चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के उर्दू विभाग में हुए सर सैयद डे कार्यक्रम की अध्यक्षता भी की।डॉ. अरशद इक़बाल ने कहा कि सर सैयद अहमद ख़ान केवल अलीगढ़ समुदाय के नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने शिक्षा और समाज सुधार का जो दीप जलाया, उसे जीवित रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “सर सैयद की सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाएं और समाज में जागरूकता फैलाएं।
”डॉ. अरशद ने कहा कि सर सैयद के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना जरूरी है, ताकि समाज के गरीब और जरूरतमंद तबकों को फायदा मिल सके। उन्होंने बताया कि 2012 में हरिद्वार में स्थापित सरसैयद चैरिटेबल हॉस्पिटल गरीबों की सेवा के उद्देश्य से लगातार काम कर रहा है। इस पहल में डॉ. असलम जमशेदपुरी, डॉ. इक़बाल, हाजी मुश्ताक सैफी, शैफी सलीम सैफी सहित कई समाजसेवी जुड़े हुए हैं। इसी क्रम में हाजी मुश्ताक सैफी एंटिम द्वारा एक और अस्पताल की स्थापना भी की गई है।
कार्यक्रम में डॉ. अरशद इक़बाल ने कहा कि सर सैयद दिवस के आयोजन केवल रस्मी न रहें, बल्कि उनके विचारों को व्यवहार में लाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग 17 अक्तूबर को कार्यक्रम तो करते हैं, लेकिन उसके बाद पूरे वर्ष इस मिशन को भूल जाते हैं। समाज को एकजुट होकर शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में ठोस कार्य करने होंगे।
उन्होंने बताया कि प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी के सहयोग से पिछले 22 वर्षों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सर सैयद से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इनमें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, सर सैयद क्विज, भाषण प्रतियोगिताएं, लेखन प्रतियोगिताएं, बैतबाजी और व्याख्यान शृंखलाएं शामिल हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से नई पीढ़ी को सर सैयद की सोच, सेवाओं और मिशन से जोड़ा जा रहा है।
तीन दिवसीय सर सैयद समारोह का हुआ समापन….
विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी तीन दिवसीय सर सैयद समारोह का समापन चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के उर्दू विभाग में हुआ। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अरबी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अबू सूफियान इस्लाही, उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सगीर अफराम और डॉ. हाशिम रज़ा जैदी शामिल हुए।कार्यक्रम में प्रोफेसर दिनेश कुमार, प्रोफेसर आराधना, डॉ. मुश्ताक सदफ़ (एएमयू), डॉ. नवेद चांदनी अब्बासी (मुजफ्फरनगर) और शाहिद जमा ने अपने विचार रखे। वक्ताओं ने सर सैयद अहमद ख़ान को शिक्षा, समानता और मानवता का प्रतीक बताया।
कार्यक्रम में छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष सैयद अनवर हुसैन सहित कई शिक्षाविद, समाजसेवी और छात्र मौजूद रहे। समारोह के अंत में सर सैयद के प्रसिद्ध शेर की पंक्तियों के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ— “हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदारवर पैदा।”