हरिद्वार

पुलिस और खनन माफिया की नई जुगलबंदी: “पर्दे में रहने दो, पर्दा ना उठाओ..

मासूम पुलिस की आंखों पर "नीले रंग का पर्दा,, देहात के कई थानों में खनन की "खन-खन..

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पंच 👊 नामा ब्यूरो
हरिद्वार: जिले में अवैध खनन का “खेल भी निराला है। इसकी खन-खन ने “खाकी से लेकर “खादी तक को सराबोर किया हुआ है। एक सिपाही, एक थानेदार या एक अफसर नहीं, इस कहानी में पात्रों की भरमार है। यकीन ना आए तो खुद इन तस्वीरों को गौर से देख लीजिए।

नदियों का सीना चीर कर निकाले जाने वाला सफेद सोना ठिकाने तक पहुंचाने के पुलिस और खनन माफिया ने गजब की जुगलबंदी निकाली है। ट्रैक्टर ट्राली में लदी खनन सामग्री को अब नीले रंग के पर्दे में ढक कर ले जाया जाने लगा है।

मजेदार बात यह है कि यह पर्दा आम लोगों से खनन का “खेल छिपाने के लिए डाला गया है। जबकि नजारा इसके उलट है। क्योंकि “मासूम पुलिस के अलावा बाकी सभी को यह मालूम है कि नीले पर्दे के अंदर क्या छुपा हुआ है।

खनन से लादे ओवरलोड वाहनों का यह कारवां एक क्षेत्र से शुरू होता है और पिरान कलियर समेत कई थानों की सीमाओं को बेरोकटोक पार करता हुआ अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है। कितनी हैरान कर देने वाली बात है कि थोड़ा सा भी शक होने पर पुलिस किसी भी वाहन को रोककर बारीकी से खंगालती है, कभी-कभी तो चेकिंग के दौरान ही रस्सी को “सांप बनाने की पूरी पटकथा लिखी जाती है।

लेकिन नीले रंग का पर्दा देख कर किसी भी थाने-चौकी की पुलिस रोकने की जहमत नहीं उठाता है। “सिंगल विंडो सिस्टम के बाद आखिर यह कौन सा सिस्टम है जो कई थानों की पुलिस को आपस में बेजोड़ तरीके से एक सूत्र में पिरोता है।
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कई मलाईदार थानों में तैनात है कमाऊ पूत सिपाही…..
हरिद्वार: जिले में खनन के लिए बदनाम कई मलाईदार थानों में कमाऊ पूत सिपाही तैनात हैं। ज्यादातर सिपाही तबादला होने के बाद भी ना सिर्फ पुराने थानों में कुंडली जमाए पड़े हैं, बल्कि थानेदारों के “कार खास बने हुए हैं। क्योंकि लंबे समय से उन्हीं के हाथ में पूरी बागडोर है। तबादला तो सिर्फ सरकारी महकमों की एक प्रक्रिया है। अफसरों की आंखों के तारे इन सिपाहियों को यह प्रक्रिया छू भी नहीं पा रही है। उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे एक और मलाईदार थाने में एक सिपाही इन दिनों चर्चा में है।
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