देहरादून

“पंचायती राज विभाग में करोड़ों का घोटाला.! सुराज सेवा दल ने उठाए सवाल, सीबीआई जांच की मांग..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून: उत्तराखंड में पंचायती राज विभाग को लेकर एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। सुराज सेवा दल ने विभाग पर करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है।

संगठन का दावा है कि वर्ष 2023-24 के दौरान विभागीय अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर बाहरी राज्यों की कंपनियों को ठेके देकर राज्य के संसाधनों का बेजा दोहन किया है।
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“स्थानीय संस्थाओं को दरकिनार कर बाहरी कंपनियों को ठेके”…..

सुराज सेवा दल के प्रदेश अध्यक्ष रमेश जोशी ने प्रेस वार्ता में खुलासा करते हुए बताया कि पंचायती राज विभाग में जिन योजनाओं का लाभ उत्तराखंड की स्थानीय संस्थाओं को मिलना चाहिए था, उन्हें नोएडा, लखनऊ, बिहार और हरियाणा की कंपनियों को सौंप दिया गया।

उन्होंने कहा, “नियमों के मुताबिक ऐसे कार्यों के लिए उत्तराखंड में पंजीकृत और न्यूनतम तीन वर्षों का अनुभव रखने वाली संस्थाओं को ही पात्र माना जाता है। लेकिन इसके बावजूद विभाग ने बाहरी कंपनियों को करोड़ों रुपये के कार्यों का आवंटन कर नियमों की धज्जियां उड़ा दीं।”
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“धरातल पर कार्य की गुणवत्ता भी संदिग्ध”…..

रमेश जोशी ने यह भी आशंका जताई कि जब शुरुआत ही अनियमितताओं और पक्षपात से हुई हो, तो ऐसे में इन कार्यों की गुणवत्ता और वास्तविकता भी संदेह के घेरे में है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात की जांच करानी चाहिए कि जो कार्य दिखाए गए हैं, वे वास्तव में हुए भी हैं या केवल कागजों में ही पूरे कर दिए गए।
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आंदोलन की चेतावनी…..

सुराज सेवा दल ने इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग की है। रमेश जोशी ने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई और दोषियों के खिलाफ कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो संगठन प्रदेशभर में जन आंदोलन शुरू करने को विवश होगा।

उन्होंने कहा कि “यह केवल भ्रष्टाचार का मामला नहीं, बल्कि स्थानीय युवाओं और संस्थाओं के अधिकारों के हनन का मुद्दा है, जिसे किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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शासन में खलबली….सुराज सेवा दल के इस खुलासे के बाद पंचायती राज विभाग में खलबली मच गई है। विभागीय अधिकारी इस मुद्दे पर फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं। यदि आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह मामला राज्य की अब तक की सबसे बड़ी वित्तीय अनियमितताओं में से एक साबित हो सकता है। जनता की निगाह अब सरकार की कार्रवाई पर टिकी है।

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