
पंच👊नामा
सुल्तान, हरिद्वार: नौकरी का एक लंबा वक्त हरिद्वार जिले में बिताने के बाद तबादले की जद में आए पुलिसकर्मी खट्टी-मीठी यादें लेकर यहां से विदा हो रहे हैं। रवानगी का सिलसिला लगातार जारी है और गैर जनपद से होने वालों की आमद नहीं के बराबर है। इसलिए थाना कोतवाली पुलिस कर्मियों से खाली हो गए हैं। यही वजह है कि थाना- कोतवाली व चौकी प्रभारियों के लिए रूटीन काम निपटाना भी मुश्किल हो रहा है। गुरुवार को भी हरिद्वार से कई पुलिसकर्मियों की रवानगी की हुई। एक दूसरे से विदा होते हुए पुलिसकर्मी भावुक हो उठे।
रानीपुर कोतवाली से तबादला होने वाले एचसीपी दिलीप सिंह चौहान, कांस्टेबल सोहन राणा, सचिन अहलावत, संतराम चौहान, संजीव राठी, दीपक भट्ट, राकेश कुमार व जितेंद्र यादव को कोतवाली प्रभारी अमर चंद शर्मा, एसएसआई अनुरोध व्यास, औद्योगिक क्षेत्र चौकी प्रभारी अशोक सिरसवाल समेत स्टाफ ने विदाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। वही ज्वालापुर कोतवाली और रेल चौकी पर कांस्टेबल पंकज शर्मा, मुकेश जोशी, नीरज चौहान, उदय व दीपक नेगी को कोतवाली प्रभारी आरके सकलानी, रेल चौकी प्रभारी प्रवीण रावत,
उपनिरीक्षक इंद्रजीत राणा, उपनिरीक्षक शेख सद्दाम हुसैन, कांस्टेबल देवेंद्र चौधरी, विनोद, हसलवीर सिंह, अमित गौड, संजय आदि ने भावभीनी विदाई देते हुए शुभकामनाएं दी।
इसी तरह भगवानपुर थाना से उपनिरीक्षक आशीष शर्मा, कांस्टेबल कमल, युद्धवीर, देवेंद्र, अतुल, बबलू को इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह व समस्त स्टाफ ने शुभकामनाए देकर टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली रवाना किया।
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अफसरों में खींचातानी की चर्चाएं…
थाना कोतवाली से हर रोज पुलिसकर्मियों की विदाई होने से हाल यह है कि रूटीन कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। ऐसा नहीं है कि जिले के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि वह देहरादून में बैठे अधिकारियों को इससे अवगत नहीं करा रहे हैं। एसओ-इंस्पेक्टर लगातार अधिकारियों को परेशानी से अवगत कराते हुए पुलिस बल की डिमांड कर रहे हैं। लेकिन गैर जनपद से पुलिसकर्मी हरिद्वार नहीं के बराबर पहुंच रहे हैं। इसके पीछे कई तरह की चर्चाएं भी बनी हुई हैं। ऐसी चर्चाएं भी हैं कि अधिकारियों की आपसी खींचातानी के कारण रस्साकशी के हालात बने हुए हैं और जिले को जानबूझकर लावारिस हालत में छोड़ा जा रहा है। अगर जानबूझकर हरिद्वार के साथ यह सौतेला व्यवहार किया जा रहा है तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि जनपद की सीमाएं तीन तरफ से पश्चिमी उत्तर प्रदेश से मिली हुई हैं और यहां अपराध के साथ-साथ लॉ एंड ऑर्डर कायम रखना भी पुलिस के लिए हमेशा से चुनौती रहा है।
सिपाहियों के अलावा दरोगाओं पर काम का जबरदस्त बोझ है। एक-एक दारोगा के कंधे पर 70 से 90 तक विवेचनाएं लदी हुई हैं। अधिकारियों में हरिद्वार से पुलिस कर्मियों को पहाड़ चढ़ाने की होड़ मची हुई है, पहाड़ के कई जनपदों में जरूरत से ज्यादा पुलिसकर्मी धकेले जा चुके हैं। जबकि वहां काम हरिद्वार से 10 फीसद भी नहीं है। कुछ जिलों में तो हरिद्वार की एक-दो कोतवाली के बराबर भी क्राइम पूरे साल में नहीं होता है। हरिद्वार में अपराध व कानून व्यवस्था कैसे संभालेगी, सब कुछ जानने और समझने के बावजूद ऊपर बैठे अधिकारी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
कई बार अवगत कराने के बावजूद उनके कानों पर जूं रेंगने को तैयार नहीं है। हैरत की बात तो यह है कि हरिद्वार जिले के जनप्रतिनिधि भी इस मामले को लेकर मूकदर्शक बने हुए हैं।